बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में प्रायः कच्चे मकान ओर झोपड़ियों की बहुलता होती है। धान के कारण यहाँ, पुआलं का ढेढ़ रहना स्वाभाविक है। अतः आग लगने पर इसके तेजी से फैलने का अंदेसा बना रहता है।
बाढ़ में घिरे लोगों को बाहर निकालना सबसे पहला कार्य है।
बाढ़, सूखा, भूकम्प, सुनामी, चक्रवात, भूस्खलन, ओलावृष्टि, वज्रपात, हिमपात इत्यादि प्रमुख आपदाएँ हैं।
ज्वालामुखी के प्रकोप से भारत. प्रायः बचा हुआ है।
पंजाब, हरियाणा जैसे पश्चिमोत्तर राज्यों में हिमालय की बर्फ पिघलने से बाढ़ आती है।
सुनामी से बंगाल की खाड़ी प्रभावित है। क्योंकि इसके पूर्वी भाग में इण्डोनेशिया का तट बहुत अधिक संवेदनशील है।
प्रकृति के साथ अनावश्यक छेड़छाड़ संकटों और आपदाओं को आमंत्रित करती है।
भारत में चक्रवात प्रायः मई जून तथा अक्टूबर-नवम्बर में अधिक आते हैं।
कारगर वैकल्पिक संचार-व्यवस्था राहत-कार्य में सहायक होती है।
भारत में बिहार ही एक ऐसा राज्य है, जो किसी संकट और आपदा से अछूता नहीं है, सिवाय सुनामी और भूकम्प के।।
आपदा प्रबंधन दो चरणों में लागू करने की आवश्यकता है आकस्मिक तथा दीर्घकालीन प्रबंधन।
आपदा के दौरान खोये हुए व्यक्तियों का पता लगाने में न सिर्फ शक्ति चालित नावों की मदद, रडार एवं हेलीकॉप्टरों की मदद ली जा सकती है बल्कि कृत्रिम उपग्रह भी सहायक होते हैं।
राहतकर्मियों के उपकरणों को दो भागों में बाँट सकते हैं-
(क) बचाव कर्मियों के निजी उपकरण।
(ख) बचाव दल के लिए उपकरण।
आकस्मिक प्रबंधन के तीन प्रमुख घटक हैं-
(i) स्थानीय प्रशासन (ii) स्वयंसेवी संगठन तथा (iii) ग्राम एवं मुहल्ले के लोग।
आपदा प्रबंधन हेतु स्कूल में छात्र-छात्राओं को भी प्रशिक्षित करना आवश्यक है।
आपदा प्रबंधन को दिनचर्या का एक अंग समझना आवश्यक है।
आपदा प्रबंधन के लिए युवकों को प्रेरित एवं प्रशिक्षित करना आवश्यक है।
भारत में 56 प्रतिशत भू-क्षेत्र भूकंप प्रभावित हैं।
भारत के 16 राज्यों का 16 प्रतिशत भाग सूखे के चपेट में रहता है।
अगस्त 2008 में नेपाल के कुसाहा के पास कोसी बाँध टूट जाने के कारण उत्तरी बिहार के कोसी क्षेत्र में भयंकर बाढ़ आयी।