उपभोक्ता बाजार का महत्वपूर्ण अंग है। व्यक्ति जब वस्तुएँ एवं सेवाएँ अपने उपयोग के लिए खरीदता है तब वह उपभोक्ता कहलाता है।
उपभोक्ता जागरण
- प्रत्येक व्यक्ति का यह अधिकार है कि वह जिस वस्तु का उपभोक्ता है, उसके बारे में पूर्ण जानकारी लें, जैसे- वस्तु का गुण, मात्रा, वस्तु बनाने में लगा सामान और इससे होने वाले प्रभाव।
- यदि उपभोक्ता किसी विशेष वस्तु का उपभोग करता है और सामान खराब निकलता है, तो वह अपने निकट के उपभोक्ता केन्द्र में शिकायत कर मुआवजा प्राप्त कर सकता है।
उपभोक्ता जागरूकता हेतु आकर्षक नारें-
- सतर्क उपभोक्ता ही सुरक्षित उपभोक्ता है।
- ग्राहक सावधान।
- अपने अधिकारों को पहचानों।
- जागो ग्राहक जागो।
- उपभोक्ता के रूप में अपने अधिकारों की रक्षा करो।
वर्तमान में ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं हैं जहाँ उपभोक्तओं का शोषण नहीं हो रहा हो, चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो या बैंकिग, चिकित्सा, दूरसंचार, डाक, खाद्य सामग्री या फिर भवन-निर्माण। सभी क्षेत्र में त्रुटि, लापारवाही और कालाबाजारी उपभोक्ता के लिए घातक सिद्ध हो रही है।
उपभोक्ता शोषण के मु़ख्य कारक
- मिलावट की समस्या- महँगी वस्तुओं में दूसरी वस्तुएँ मिला कर उपभोक्ता का शोषण होता है।
- कम तौलने द्वारा- वस्तुओं की माप में हेरा-फेरी करके भी उपभोक्ता को शोषण किया जाता है।
- कम गुणववाली वस्तु- उपभोक्ता को धोखे से अच्छी वस्तु के स्थान पर कम गुण वाले वस्तु देकर शोषण करना।
- ऊँची किमत द्वारा- ऊँची किमत वसुल करके भी उपभोक्तओं का शोषण किया जाता है।
- डुप्लीकेट वस्तुएँ- सही कंपनी का डुप्लीकेट वस्तुएँ देकर भी उपभोक्ता का शोषण किया जाता है।
जागरूक उपभोक्ता के लक्षण
- छात्र-छात्राओं को चाहिए कि वे जिन संस्थान में नामांकन करने के इच्छुक है उनकी राज्य सरकार, UGC से मान्यता प्राप्ती की जानकारी ले लें।
- क्रेडिट कार्ड मिलते ही निर्धारित जगह में तुरंत हस्ताक्षर कर दें।
- दवा सुरक्षित तथा लरइसेंस प्राप्त दवा विक्रेता से ही खरीदें।
- यह सुनिश्चित करें कि आपको सही मात्रा में पेट्रोल मिल रहा हैं अथवा नहीं।
- LPG गैस सिलिंडर की अंतिम तिथि का पता कर लें।
- ISI तथा एकमार्क, हॉल-मार्क उत्पाद वस्तु पर देखें व सही परख करें।
उपभोकता संरक्षण एवं सरकार
सरकार ने उपभोकताओं की रक्षा के लिए समय-समय पर कदम उठाते हुए अनेक उपभोकता-कानून बनाए हैं इस कड़ी में सरकार के तरफ से सबसे महत्वपूर्ण कदम हैं- उपभोकता संरक्षण अधिनियम 1986 भारत सरकार ने इस अधिनियम को अपनाने में विश्व के विकसित देशों जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में लागू उपभोकता संरक्षण अधिनियम एवं व्यवस्थाओं का गहराई से अध्ययन करने के पश्चात् अपनाया।
पाठ सात उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण – Upbhokta Jagran Evam Sanrakshan
उपभोकता संरक्षण अधिनियम 1986
उपभोकता संरक्षण अधिनियम के दायरे में सभी वस्तुओं, सेवाओं तथा व्यक्तियों, चाहे वह निजी क्षेत्र के हो या सार्वजनिक क्षेत्र के, उसको सामिल किया जाता हैं। इसके तहत उपभोकताओ को यह जानने का अधिकार प्राप्त है कि वह वस्तु या सेवा कि गुणवत्ता, परिमाण, क्षमता, शुद्धता, मानक और मुल्य के बारे में जानकारी प्राप्त कर सके।
- उपभोकता संरक्षण अधिनियम आपको सशक्त बनाता है।
- अपने निकट क्षेत्र के उपभोकता फोरम को जानने के लिए कम्प्यूटर पर लॉग-ऑन कर सकते हैं-
- उपभेकता संगठन की वेबसाइट है- www.Cuts.international.org.
- इस वेबसाइट में उपभोक्ता को जागरूक बनाने में विभिन्न प्रकार की सामग्री प्रकाशित करती हैं।
- उपभोकता किसी भी टोलिफोन या मोबाइल से मुफ्त में उपभोक्ता संरक्षण संबंधी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन नं0- 1800-11-4000 शुल्क मुक्त
- स्वर्णाभूषणों पर बीआईएस हॉलमार्क हमेशा देखें
- केवल ISI चिन्हित उत्पाद खरीदें
- लगभग 1500 उत्पादों में चिन्ह ISI अंकित है, इसमें खास तौर पर ऐसे उत्पाद आते हैं जो सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं तथा ISI जो उपभोक्ताओं की सुरक्षा करते हैं।
- इसमें एलपीजी सिलिण्डर्स, बिजली उपकरण, सुरक्षा हेलमेट, खाद्य पदार्थ, रंग, सिमेंट, शिशु आहार तथा बबल गम जैसे उत्पाद शामिल हैं।
उपभोक्ता सांरक्षण अधिनियम की धारा 6 के अंतर्गत उपभोक्ता को कुछ अधिकार सुरक्षा का अधिकार प्रदान किए गए हैं।
- सुरक्षा का अधिकारः- उपभोक्ता का प्रथम अधिकार सुरक्षा का अधिकार है। उपभोकता को ऐसे वस्तुओं और सेवाओं से सुरक्षा प्राप्त करने का अधिकार है जिससे उसके शरीर या संपिŸा को हानि हो सकती है जैसे- बिजली का आयरन विद्युत आपूर्ति की खराबी के कारण करंट मार देता है या एक डॉक्टर ऑपरेशन करते समय लापरवाही बरतता है जिसके कारण मरीज को खतरा या हानि हो सकती है।
- सुचना पाने का अधिकारः- उपभोकता को वे सभी आवश्यक सुचनाएँ प्राप्त करने का अधिकार है जिसके आधार पर वह वस्तुएँ या सेवाएँ खरीदने का निर्णय कर सकते हैं। जैसेः- पैकेट बंद सामान खरीदने पर उसका मुल्य इस्तेमाल करने की अवधि, गणवत्ता इत्यादि की सुचना प्राप्त करें।
- चुनाव या पसंद करने कर अधिकारः- उपभोक्ता अपने अधिकार के अंतर्गत विभिन्न निर्माताओं द्वारा निर्मित विभिन्न ब्रांड, किस्म, रूप, रंग, आकार तथा मूल्य की वस्तुओं में किसी भी वस्तु का चुनाव करने को स्वतंत्र है।
- सुनवाई का अधिकारः- उपभोक्ता को अपने हितों को प्रभावित करनेवाली सभी बातो को उपयुक्त मंचो के समक्ष प्रस्तुत करने कर अधिकार है। उपभोक्ता को अपने को मंचो के साथ जुड़कर अपने बातों को रखनी चाहिए।
- शिकायत निवारण या क्षतिपूर्ति का अधिकारः- यह अधिकार लोगों को आश्वासन प्रदान करता है कि क्रय की गयी वस्तु या सेवा उचित ढ़ंग की अगर नही निकली तो उन्हे मुआवजा दिया जएगा।
- उपभोकता शिक्षा का अधिकारः- उपभोकता शिक्षा का अधिकार के अर्न्तगत, किसी वस्तु के मूल्य, उसकी उपयोगिता, कोटी तथा सेवा की जानकारी एवं अधिकारों से ज्ञान प्राप्ती की सुविधा जैसी बातें आती है जिसके माध्यम से शिक्षित उपभोकता धोखाधड़ी, दगाबाजी से बचने के लिए स्वंय सबल, संरक्षित एवं शिक्षित हो सकते हैं और उचित न्याय के लिए खड़े हो सकते हैं
उपभोकता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत उपभोक्ताओं को उनकी शिकायतां के निवारण के लिए व्यवस्था दी गई है जिसे तीन स्तरों पर स्थापित किया गया है-
- राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय आयोग
- राज्य स्तर पर राज्य स्तरीय आयोग
- जिला स्तर पर जिला मंच (फोरम)
उपभोक्ता संरक्षण हेतु सरकार द्वारा गठित न्यायिक प्रणाली
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में त्रिस्तरीय अर्द्धन्यायिक व्यवस्था है, जिसमें, जिला मंचों, राज्य आयोग एवं राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की गई है।
- अगर उपभोक्ता राष्ट्रीय फोरम से संतुष्ट नहीं होता है तो वह आदेश के 30 दिनों के अंदर उच्चतम न्यायालय में अपील कर सकता है।