खाद्य पदार्थ संबंधी वस्तुओं को खरीदते समय निम्नलिखित बिन्दुओं पर ध्यान देना आवश्यक है
- अवयवों की सूची
- वजन का परिमाण
- निर्माता का नाम व पता
- निर्माण की तिथि।
- इस्तेमाल की समाप्ति, निर्दिष्ट से पहले इस्तेमाल की तिथि
- निरामिष सामिष चिह्न
- डाले गये रंग और खुशबू की घोषणा।
- पोषाहार का दावा-सम्मिलित पौष्टिक तत्वों की मात्राएँ।
- स्वास्थ्य के प्रति हानिकारक चेतावनी।
- वैधानिक चेतावनी तम्बाकू। शिशु के लिए हल्का विकल्प।
उपभोक्ता जागरण हेतु विभिन्न नारे इस प्रकार हैं
- सतर्क उपभोक्ता ही सुरक्षित उपभोक्ता है।
- ग्राहक सावधान।
- अपने अधिकार को पहचानो।
- जागो ग्राहक जागो।
- उपभोक्ता के रूप में अपने अधिकारों की रक्षा करें
उपभोक्ता के शोषण होने के निम्नलिखित प्रमुख कारक इस प्रकार हैं
- मिलावट की समस्या-महँगी वस्तुओं में मिलावट करके उपभोक्ता का शोषण होता है
- कम तौलने द्वारा वस्तुओं की माप में हेरा-फेरी करके भी उपभोक्ता का शोषण होता है
- कम गुणवत्तावाली वस्तु-उपभोक्ता को धोखे से अच्छी वस्तु के स्थान पर का गुणवत्ता वाली वस्तु देकर शोषण करना।
- ऊँची कीमत द्वारा-ऊंची कीमतें वसूल करके भी उपभोक्ता का शोषण किया जाता है
- डुप्लीकेट वस्तुएँ सही कम्पनी की डुप्लीकेट वस्तुएँ प्रदान करके उपभोक्ता का शोषा होता है।
उपभोक्ता जब कोई वस्तु खरीदता है, तो यह आवश्यक है कि वह उस वस्तु की रसी अवश्य ले ले एवं वस्तु की गुणवत्ता, ब्रांड, मात्रा, शुद्धता, मानक, माप-तौल, उत्पाद/निर्माण के तिथि, उपभोग की अंतिम तिथि, गारंटी/वारंटी पेपर, गुणवत्ता का निशान जैसे आई. एस. आई. एगमार्क, हॉलमार्क (आभूषण) और मूल्य की दृष्टि से किसी प्रकार के दोष, अपूर्णता पाते है तो सेवाएँ लेते समय अतिरिक्त सतर्कता एवं जागरुकता रखें। इस प्रकार उपभोक्ता अपने कर्त्तव्य का निर्वाह कर वस्तुओं एवं सेवाओं की गुणवत्ता को बढ़ा सकता है।
उपभोक्ता बाजार व्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग है। व्यक्ति जब वस्तुएँ एवं सेवाएँ अप प्रयोग के लिए खरीदता है तब वह उपभोक्ता कहलाता है। खरीददारी की अनुमति से ऐसी वस्तुऊ और सेवाओं का प्रयोग करने वाला व्यक्ति भी उपभोक्ता है। महात्मा गाँधी के शब्दों में, “उपभोक्ता हमारी दुकान” में आने वाला सबसे महत्वपूर्ण व्यकि है। वह हम पर निर्भर नहीं, हम उनपर निर्भर हैं।”
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न