आपदा और सह अस्तित्व


  • यद्यपि आपदाएँ और संकट प्राकृतिक क्रियाओं के प्रतिफल हैं, परंतु अविवेकपूर्ण मानवीय क्रियाएँ भी आपदाओं को आमंत्रित करती हैं।
  • आपदा के संवेदनशील क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन के लिए हमेशा तैयारी रखनी चाहिए, क्योंकि आपदाएं अप्रत्याशित रूप से घटित होती हैं।
  • बाढ़ और सूखे के संकट का आकलन कर उनसे निपटने की तैयारी सम्यक रूप से करनी ।
    चाहिए।
  • आपदा प्रबंधन में स्थानीय लोगों का सहयोग ही सबसे अधिक कारगर होता है।
  • संचार साधनों का उपयोग आपदा से निपटने में बहुत प्रभावशाली होता है।
  • अभी तक आपदाओं में लाखों-करोड़ों लोगों की मृत्यु तब हुई हैं जब उन क्षेत्रों में एकाधिपत्य शासन रहा है। किसी लोकप्रिय प्रजातांत्रिक देश में बड़ी संख्या में लोगों की ‘ मौत नहीं हुई, क्योंकि वहाँ आपदा से निपटने के लिए उचित प्रयास करना संभव हो सका आपदा प्रबंधन के महत्व को इंगित करने के लिए यह उदाहरण सटीक है।
  • प्रकृति में होनेवाले कुछ परिवर्तन संकट और आपदाओं के कारण होते हैं।
  • अनेक संकटों और आपदाओं का कारण मनुष्य के क्रियाकलाप भी होते हैं।
  • प्रकृति के साथ अनावश्यक छेड़छाड़ संकटों और आपदाओं को आमंत्रित करती है।
  • संकट धीरे-धीरे उत्पन्न होते हैं और आपदाएँ अकस्मात विकास रूप ले लेती हैं।
  • भारत का उत्तरी तराई भाग भूकंप के लिए अत्यधिक संवेदनशील है।
  • ज्वालामुखी के प्रकोप से भारत प्रायः बचा हुआ है।
  • सुनामी से बंगाल की खाड़ी प्रभावित है, क्योंकि इससे पूर्वी भाग में इंडोनेशिया का तट बहुत अधिक संवेदनशील है।
  • भारत में चक्रवात प्रायः मई-जून तथा अक्टूबर-नवम्बर में अधिक आते हैं।
  • पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ प्रायः प्रतिवर्ष आती है और यही व्यापक हानि होती है।
  • पंजाब, हरियाणा जैसे पश्चिमोत्तर से राज्यों में हिमालय की बर्फ पिघलने से बाढ़ आती है।
  • देश के पश्चिमी और दक्षिणी भाग में प्रायः सूखे की स्थिति रहती है; परंतु सभी भाग इसकी चपेट में आ सकते हैं।
  • बाढ़ का दुष्प्रभाव क्षणिक होता है जबकि सूखे से लोगों को लंबे समय तक कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
  • देश में बिहार एक ऐसा राज्य है जो किसी संकट और आपदा से अछूता नहीं है, सिवाय सुनामी के।




Related Topics
=> प्राकृतिक आपदा एवं प्रबंधन : बाढ़ सुखाड़
=> प्राकृतिक आपदा : एक परिचय
=> प्राकृतिक आपदा एवं प्रबंधन: भूकंप एवं सुनामी
=> जीवन रक्षक आकस्मिक प्रबंधन
=> आपदा काल में वैकल्पिक संचार व्यवस्था
=> आपदा और सह अस्तित्व
=> यूरोप में राष्ट्रवाद |
=> समाजवाद एवं साम्यवाद |
=> हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन
=> भारत में राष्ट्रवाद
=> अर्थव्यवस्था और आजीविका
=> शहरीकरण एवं शहरी जीवन
=> व्यापार और भूमंडलीकरण
=> प्रेस एवं सस्कृतिक राष्ट्रवाद
=> लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी
=> सत्ता में साझेदारी की कार्यप्रणाली
=> लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष
=> लोकतंत्र की उपलब्धियाँ
=> लोकतंत्र की चुनौतियाँ
=> अर्थव्यवस्था एवं इसके विकास का इतिहास
=> राज्य एवं राष्ट्र की आय
=> मुद्रा, बचत एवं साख
=> हमारी वित्तीय संस्थाएँ
=> रोजगार एवं सेवाएँ
=> वैश्वीकरण
=> उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण
=> भारत : संसाधन एवं उपयोग
=> प्राकृतिक संसाधन
=> जल संसाधन
=> वन एवं वन्य प्राणी संसाधन
Related Topics
=> प्राकृतिक आपदा एवं प्रबंधन : बाढ़ सुखाड़
=> प्राकृतिक आपदा : एक परिचय
=> प्राकृतिक आपदा एवं प्रबंधन: भूकंप एवं सुनामी
=> जीवन रक्षक आकस्मिक प्रबंधन
=> आपदा काल में वैकल्पिक संचार व्यवस्था
=> आपदा और सह अस्तित्व
=> यूरोप में राष्ट्रवाद |
=> समाजवाद एवं साम्यवाद |
=> हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन
=> भारत में राष्ट्रवाद
=> अर्थव्यवस्था और आजीविका
=> शहरीकरण एवं शहरी जीवन
=> व्यापार और भूमंडलीकरण
=> प्रेस एवं सस्कृतिक राष्ट्रवाद
=> लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी
=> सत्ता में साझेदारी की कार्यप्रणाली
=> लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष
=> लोकतंत्र की उपलब्धियाँ
=> लोकतंत्र की चुनौतियाँ
=> अर्थव्यवस्था एवं इसके विकास का इतिहास
=> राज्य एवं राष्ट्र की आय
=> मुद्रा, बचत एवं साख
=> हमारी वित्तीय संस्थाएँ
=> रोजगार एवं सेवाएँ
=> वैश्वीकरण
=> उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण
=> भारत : संसाधन एवं उपयोग
=> प्राकृतिक संसाधन
=> जल संसाधन
=> वन एवं वन्य प्राणी संसाधन