धन-जन की व्यापक हानि पहुंचानेवाली आकस्मिक दुर्घटना को प्राकृतिक आपदा कहते हैं। . यदि आपका प्रभाव दीर्घकालिक हो, तो उसे संकट कहते हैं।
आपदाएँ प्राकृतिक भी होती हैं और मानवीय क्रियाकलापों का परिणाम भी।
आजोनपरत का क्षरण, भूमंडलीय तापन का प्रभाव विस्तृत क्षेत्र पर पड़ता है, परन्तु अन्य आपदाओं का प्रभाव स्थानीय स्तर पर होता है।
बाढ़, सूखा, भूकंप, सूनामी और ज्वालामुखी, अधिक विनाशक आपदाएं हैं, जबिक चक्रवात, ओलावृष्टि, हिमस्खलन, भूस्खलन, वज्रपात, मेघ-स्पोट आदि कम विनाशकारी है।। भारत ज्वालामुखी के प्रकोप से प्रायः वंचित हैं।
कुछ प्रमुख प्राकृतिक संकट और आपदाएँ-भारत प्राकृतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विविधताओं का देश है। इसकी विपुल जनसंख्या और विस्तृत क्षेत्र किसी-न-किसी आपदा से ग्रस्त होता रहता है। कोई क्षेत्र एक आपदा के लिए संवेदनशील है तो कोई दूसरी आपदा के लिए और कोई कई आपदाओं से एक साथ ग्रस्त हो सकता है।
अधिक विनाशकारी आपदाएँ-बाढ़, सूखा (सूखाड़), भूकम्प, सुनामी।
कुछ कम विनाशकारी आपदाएँ-चक्रवात, ओलावृष्टि, हिमस्खलन, भूस्खलन, वज्रपात, मेघ-स्फोट, ज्वालामुखी।
बाढ़-जब नदियों का जल उसके तटों से बाहर निकलकर विस्तृत क्षेत्र में फैलकर फसलों को डुबा दें, सड़कों पर पानी के जमाव से आवागमन अवरुद्ध हो जाए, बस्तियों में जल-जमाव से कठिनाई हो और जहाँ-तहाँ मकान भी गिरने लगे तो इस स्थिति को बाढ़ कहते हैं मुंबई जेसे नगरों में तो लगातार तेज वर्षा से ही बाढ़ आ जाती है, अर्थात नदी के जल के अतिरिक्त भी बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। उत्तर का पूर्वी भाग सर्वाधिक बाढ़ग्रस्त क्षेत्र है।
सूखा (सुखाड़)-50 सेमी. से कम वार्षिक वर्षा वाला क्षेत्र तो स्वभावतः सूखे की स्थिति में होते हैं। परंतु, क्षेत्रों में वार्षिक वर्षा 25 प्रतिशत से भी कम हो तथा प्रायः 30 प्रतिशत फसलें सिंचाई के अभाव में सूखने लगे तो वहाँ सुखा की स्थिति मानी जाती है।
भूकम्प-पृथ्वी के भीतर भूगर्भीय हलचल के कारण जब समुद्र में कंपन उत्पन्न होता है तो इसे भूकंप कहते हैं। 1934 में बिहार में आई विनाशकारी भूकंप से धरती फट गई थी और सैकड़ों लोगों की मृत्यु हो गई थी।
सुनामी-भूगर्भीय हलचल के कारण जब समुद्री लहरें तेजी से तटों के पास के भूभाग पर फैलकर जानमाल को हानि पहुंचाती हैं, तो इसे सुनामी कहते हैं, भारत का पूर्वी तट सुनामी से प्रभावित होता है, परंतु पश्चिमी तट प्रायः सुरक्षित है। सागर तट से दूर होने के कारण बिहार भी सुनामी के प्रकोप से बचा हुआ है।
चक्रवात-अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में प्रतिवर्ष चक्रवात आते हैं। मई-जून तथा अक्टूबर-नवंबर में अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी दोनों ओर से चक्रवात उठते हैं, परंतु बंगाल की खाड़ी का अक्टूबर-नवंबर का चक्रवात भयानक होता है। इससे झारखण्ड, बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश का पूर्वी भाग तो प्रभावित होते ही हैं, साथ-साथ पश्चिम बंगाल और उड़ीसा जैसे तटीय राज्यों में तूफान महोमि (storm surge) भी आते हैं जिनसे धन-जन की अत्यधिक हानि होती है, पेड़ और मकान ध्वस्त हो जाते हैं।
ओलावृष्टि-कभी-कभी वर्षा के समय पानी से अधिक बर्फ के टुकड़ों की बौछार होने लगती है। ओलावृष्टि तो कभी हो जाती है, परंतु खड़ी फसलों के समय की ओलावृष्टि से फसलों की इतनी बरबादी होती है कि किसानों की कमर ही टूट जाती है। सब्जियों और अनाज की फसल नष्ट होने से कभी-कभी उन्हें भारी आर्थिक हानि उठानी पड़ती है।
हिमस्खलन-हिमालय की तराई के राज्य जम्मू-कश्मीर, हिमालय प्रदेश और उत्तराखंड में भारी वर्षा या बर्फबारी से बर्फ की बड़ी-बड़ी चट्टानें खिसककर नीचे गिरने लगती है इससे सीमित क्षेत्र में लोगों के दबने, भवनों के गिरने तथा सड़क मागों के अवरुद्ध हो जाने से कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। इन तीन राज्यों में हिमस्खलन प्रायः सामान्य घटना है।
भूस्खलन-हिमस्खलन की भांति ही तराई ढालों पर प्रायः बहुत अधिक मिट्टी खिसककर नीचे गिरकर हानि पहुंचाती है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड उत्तर प्रदेश और बिहार के तराई के भाग, सिक्किम, दार्जिलिंग और अरुणाचल प्रदेश इससे प्रभावित होते हैं। इसमें भी जान-माल की हानि के साथ सड़कों के अवरुद्ध हो जाने से आवागमन में कठिनाई सम्पन्न हो जाती है।
वज्रपात-वर्षा के समय जब बादलों में अधिक हलचल होती है, तो प्रायः बिजली गिरती है, मकान टूट जाते हैं, पेड़ों की डालियाँ भी टूट जाती हैं। प्रायः सूखे स्थानों पर पशु या मनुष्य भी उसके शिकार हो जाते हैं।
मेघ-स्फोट-पहाड़ी स्थानों पर कभी-कभी अकस्मात कम समय में ही इतनी अधिक वर्षा हो जाती है कि उन स्थानों पर बाढ़ का दृश्य उपस्थित हो जाता है। इससे भूस्खलन भी होने की संभावना हो जाती है।
ज्वालामुखी-पृथ्वी के भीतर से कहीं-कही भारी मात्रा में पिछली चयनों और गैसें निकलने लगती हैं, वस्तुत: कुछ ज्वालामुखी विस्फोट तो अत्यंत भयानक होते हैं, परंतु भारत में अंडमान के पूरब की ओर के एक टापू पर ही ज्वालामुखी का प्रकोप है, देश के शेष भाग इस विपदा से प्रायः सुरक्षित हैं।