उत्तर- आपदा अपने आप में एक भयंकर शब्द है जिसको बोलचाल की भाषा में ‘आफत’ कहते हैं। यह दो तरह के होते हैं।-() प्राकृति आपदा और (ii) मानव-जनित आपदा।
(i) प्राकृतिक आपदा- प्राकृतिक आपदा में बाढ़, सुखाड़, सुनामी, चक्रवात, ओलावृष्टि, हिमस्खलन, भूस्खलन इत्यादि के नाम लिए जा सकते हैं। इसमें पृथ्वी की गति रुक जाती है। – प्राणी जगत असहाय हो जाती है। जैसे-उत्तर बिहार में कोशी की भयानक लीला देश को दहला दिया, सुनामी 2004 ई. में आकर भारत के पूर्वी तट तथा अंडमान निकोबार द्वीप समूह में जो धन-जन की बर्बादी हुई जिसकी सही आकलन संभव नहीं है। चक्रवात, ओलावृष्टि, हिमस्खलन, भूस्खलन तो भारत के पर्वतीय क्षेत्र में आते ही रहते हैं।
(ii) मानव-जनित आपदा- मानव-जनित आपदा मनुष्य द्वारा रचा जाता है। इसमें आतंक और सांप्रदायिकता का सहारा लिया जाता है और असंख्य धन-जन की हानि होती है तथा लोग मारे जाते हैं।मानव-जनित आपदा में सांप्रदायिक दंगे, अक्सर हो जाया करते हैं। इसमें एक धर्म के लोग दूसरे धर्म के लोगों में नफरत पैदा कर दंगा रूप देते हैं। जैसे-1984 ई. में भागलपुर का सांप्रदायिक दंगा विश्वप्रसिद्ध हो गया। इसमें देश की जो क्षति हुई कहा नहीं जा सकता। मानव-जनित आपदा में दूसरा नाम आतंकवाद का आता है जिसमें आतंकी अवैध हथियारों का प्रयोग कर धन-जन को हानि पहुंचाते हैं। जैसे-पाकिस्तान, आतंकवाद का सहारा लेकर भारत को तबाह किए हुए है। कश्मीर में घुसपैठ कराकर मुम्बई में हमला और 26/11 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर पर हमला आतंकवाद का ही उदाहरण है।
उत्तर-
मौनसून की अनिश्चितता के कारण बिहार के किसी-न-किसी भाग में प्रतिवर्ष बाढ़ का आगमन होता है। बिहार की कोसी बाढ़ की विभीषिका के लिए बदनाम है। उत्तरी बिहार के मैदान बाढ़ से अधिक प्रभावित हैं। उत्तरी बिहार में बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में सारण, गोपालगंज, वैशाली, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, सहरसा, खगड़िया, दरभंगा, मधुबनी इत्यादि हैं। इन क्षेत्रों में मुख्यत: घाघरा, गंडक, कमला, बागमती और कोसी नदियों से बाढ़ आती हैं। उत्तरी बिहार की नदियों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने के प्रमुख कारण हिमालय तराई के क्षेत्र में अधिक वर्षा है। एक सर्वेक्षण के अनुसार बिहार के कुल बाढ़-क्षेत्र का लगभग 64 लाख हेक्टेयर है।
बाढ़ वे प्राकृतिक आपदाएं हैं, जिनका संबंध वर्षा से है। जब मौनसूनी वर्षा अत्यधिक होती है, तो नदियों के जल-स्तर में उफान आता है और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है। मौनसून की अनिश्चितता के कारण भारत के किसी-न-किसी भाग में प्रतिवर्ष बाढ़ का आगमन होता है। कुछ . नदियाँ तो बाढ़ की विभीषिका के लिए बदनाम हो चुकी हैं, जैसे कोसी। हाल के वर्षों में बाढ़ की स्थिति मानवीय स्थिति से भी उत्पन्न होने लगी हैं। बाढ़ को रोकने के लिए बाँध और तटबंध बनाये गये हैं, लेकिन नदी का बढ़ता जलस्तर जब इन्हें तोड़ देता है तो अनेक ऐसे क्षेत्र भी जल प्लावित हो जाते हैं। 2008 ई. में भारत-नेपाल की सीमा पर कुसहा के पास तटबंध के टूटने से आई भयंकर बाढ़ है।
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