रोजगार का अर्थ देश के मानव संसाधन को ऐसे कार्यों में लगाना है जिससे देश की उत्पादकता बढ़े और सामान्य लोगों के लिए उसकी न्यूनतम आवश्यकाएँ रोटी, कपड़ा और मकान प्राप्त हो सकें।
बेरोजगार- ऐसे लोग जो काम करने के लायक होते हैं और जिन्हें उचित पारिश्रमिक पर काम नहीं मिलता है, उसे बेरोजगार कहते हैं।
आर्थिक विकास के मुख्य तीन क्षेत्र हैं-
सेवा क्षेत्र को सामान्यतः दो भागों में विभक्त किया गया है-
सरकारी सेवा क्षेत्र- 1. सैन्य सेवा, 2. शिक्षा सेवा, 3. रेल सेवा, 4. बस सेवा, 5. वायुयान सेवा, 6. कृषि सेवा, 7. स्वास्थ्य सेवा, 8. अभियंत्रण सेवा, 9. वित्त सेवा, 10. बैंकिंग सेवा, 11. अन्य सरकारी सेवाएँ
गैर सरकारी सेवा- बैंकिंग सेवा, दूरसंचार सेवा, यातायात सेवा, स्वास्थ्य सेवा, स्वरोजगार सेवा, अन्य गैर सरकारी सेवाएँ
सेवा क्षेत्र के महत्व- सेवा एवं रोजगार एक ही तराजू के दो पलड़ों के समान हैं।
रोजगार सृजन के रूप में सेवा क्षेत्र की भूमिका- सेवा का क्षेत्र सरकारी हो या गैर सरकारी, दोनों ही परिस्थितियों में रोजगार पैदा करता है। सरकारी क्षेत्र के सहयोग से रोजगार सृजन निम्न सेवाओं के द्वारा किया जा रहा है-
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