राष्ट्रवाद अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम की भावना होना राष्ट्रवाद कहलाता है |
राष्ट्र अरनेस्ट रेनर के अनुसार समान भाषा नस्ल धर्म से बने क्षेत्र का राष्ट्र कहते हैं एक राष्ट्र लंबे प्रयासों त्यागों और निष्ठा का चरम बिंदु होता है
इस्टेट जनरलइस्टेट जनरल 1789 में शुरू हुई एक आम सभा थी। जो क्षेत्र के फ्रांसीसी संप्रदायों के संप्रदाय का प्रतिनिधित्व करती थी इसे नेशनल असेंबली बोला गया वियाना कांग्रेस यूरोपीय देशों के राजदूत का 1 सम्मेलन जो सितंबर 18 से 14 जून 1815 तक किया गया उसको वियना में आयोजित किया गया था इसलिए इसको वियना कांग्रेस बोला जाता है
यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय: उन्नीसवीं सदी के मध्य तक यूरोपीय देशों का रूप वैसा नहीं था जैसा कि आज है। विभिन्न क्षेत्रों पर अलग-अलग वंश के लोग राज करते थे। इन इलाकों में राजतंत्र का शासन हुआ करता था। उस काल में कई ऐसे तकनीकी परिवर्तन हुए जिनके कारण समाज में अभूतपूर्व बदलाव आये। समाज में आये इन परिवर्तनों ने लोगों में राष्ट्रवाद की भावना को जन्म दिया।
नये राष्ट्रों के निर्माण की प्रक्रिया 1789 में शुरु होने वाली फ्रांस की क्रांति के साथ शुरु हो गई थी। लेकिन किसी भी नई विचारधारा की तरह राष्ट्रवाद को भी अपनी जड़ जमाने में लगभ एक सदी लग गया। इस लंबी प्रक्रिया के अंतिम चरण में फ्रांस का एक प्रजातांत्रिक देश के रूप में गठन हुआ। उसके बाद यह सिलसिला यूरोप के कई अन्य देशों में भी चलने लगा। बीसवीं सदी की शुरुआत आते आते विश्व के कई हिस्सों में आधुनिक प्रजातंत्र की स्थापना हुई।
फ्रांसीसी क्रांति |
राष्ट्रवाद की पहली अभिव्यक्ति: राष्ट्रवाद की पहली अभिव्यक्ति फ्रांस में हुई। फ्रांसीसी क्रांति ने फ्रांस की राजनीति और संविधान में कई बदलाव किये। सन 1789 में सत्ता का स्थानांतरण राजतंत्र से प्रजातांत्रिक संस्था को हुआ। इस नई संस्था का गठन नागरिकों द्वारा हुआ था। उस नई शुरुआत से ऐसा माना जाने लगा कि फ्रांस के लोग आगे से अपने देश का भविष्य स्वयं तय करेंगे ।
क्रांतिकारियों ने लोगों में एक साझा पहचान की भावना स्थापित करने के लिए कई कदम उठाए। उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
फ्रांस में होने वाली गतिविधियों ने यूरोप के कई शहरों के लोगों को प्रभावित किया। इन शहरों में शिक्षित मध्यवर्ग के लोगों और छात्रों द्वारा जैकोबिन क्लब बनाये जाने लगे। इन क्लबों की गतिविधियों ने फ्रांस की सेना द्वारा घुसपैठ का रास्ता साफ कर दिया। 1790 के दशक में फ्रांस की सेना ने हॉलैंड, बेल्जियम, स्विट्जरलैंड और इटली के एक बड़े भूभाग में घुसपैठ कर ली थी। इस तरह फ्रांसीसी सेना ने अन्य देशों में राष्ट्रवाद का प्रचार करने का काम शुरु किया।
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