उत्तर-आपदा की घड़ी में जीवन रक्षक प्रबंधन अत्यधिक उपयोगी और अत्यावश्यक है। आकस्मिक प्रबंधन ही किसी प्रशासन की सफलता की कसौटी होती है। इसके अंतर्गत आपदा मेंआते ही प्रभावित लोगों को आपदा से निजात दिलाना ही प्रमुख उद्देश्य होता है। अलग-अलग प्रकार के प्राकृतिक आपदाओं के आकस्मिक प्रबंधन में अलग-अलग प्रकार की प्राथमिकताएँ होती हैं।
बाढ़ की स्थिति में पहली प्राथमिकता बाढ़ रोकना नहीं बल्कि बाढ़ से लोगों को .. बचाना है। लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाना भी आकस्मिक प्रबंधन का ही अंग है। सुरक्षित स्थान पर ले जाने के बाद भोजन और पेयजल की व्यवस्था आवश्यक है। बच्चों के लिए दूध की व्यवस्था, महामारी से बचने के लिए गर्म जल, गर्म भोजन तथा छोटे से जगह में मिलजुलकर रहने के लिए वातावरण बनाना आकस्मिक प्रबंधन का ही हिस्सा है। पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था भी अति आवश्यक है। खाद्य पदार्थ, पशुचारा, महामारी आने से संबंधित जीवन रक्षक दवाई, छिड़काव की सामग्री इत्यादि का पूर्व प्रबंधन आकस्मिक प्रबंधन की पहली शर्त है। लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाना भी आकस्मिक प्रबंधन का ही अंग है। सुरक्षित स्थान पर ले जाने के बाद भोजन और पेयजल की व्यवस्था आवश्यक है। बच्चों के लिए दूध की व्यवस्था, महामारी से बचने के लिए गर्म जल, गर्म भोजन तथा छोटे से जगह में मिलजुलकर रहने के लिए वातावरण बनाना आकस्मिक प्रबंधन का ही हिस्सा है। पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था भी अति आवश्यक है। खाद्य पदार्थ, पशुचारा, महामारी आने से संबंधित जीवन रक्षक दवाई, छिड़काव की सामग्री इत्यादि का पूर्व प्रबंधन आकस्मिक प्रबंधन की पहली शर्त है।
आकस्मिक प्रबंधन में स्थानीय प्रशासन की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके लिए आवश्यक है कि वे राहत शिविर का निर्माण करें। वहाँ सभी उपकरणं और प्राथमिक उपचार की सामग्रियाँ उपलब्ध कराएँ तथा एम्बुलेंस, डॉक्टर, अग्निशामक इत्यादि की व्यवस्था में तत्परता दिखाएँ। कागजी दाव-पेंच न पड़कर राहत राशि और राहत सामग्री को पहुंचाकर आपदा प्रबंधन को सरल तथा सहज बनाएँ।
भूकंप की स्थिति में आकस्मिक प्रबंधन का तीन प्रमुख कार्य होता है
- बचे हुए विस्थापित लोगों को राहत कैंप में ले जाना या उसे सभी प्रकार की आवश्यक सुवि’ – उपलब्ध कराना।
- वैसे लोगों को मलवे से निकालना जो अभी भी दबे हुए हैं।
- अकाल मृत्युप्राय आम लोगों को और जानवरों को सही स्थान पर दफनाकर या धार्मिक रीतियों के अनुरूप अंतिम संस्कार करना। ऐसा नहीं करने से महामारी फैलने की संभावना रहती है।
सुनामी की स्थिति में पहली प्राथमिकता है कि घायल का प्राथमिक उपचार कर अस्पताल पहुँचाया जाय तथा लापता पता लगाने के लिए हेलिकॉप्टर, रडार जैसे यंत्रों की मदद ली जाय। शक्तिचालित नौकाएँ भी इस कार्य में सहायता ली जा सकती हैं।
आग लगने की स्थिति में आकस्मिक प्रबंधन की तीन बड़ी जिम्मेवारी होती है-
(क) आग में फंसे हुए लोगों को बाहर निकालना।
(ख) घायलों को तत्काल प्राथमिक उपचार देकर अस्पताल पहुंचाना और उससे पहले ठंडा पानी डालना, बर्फ से सहलाना और बरनोल जैसी प्राथमिक औषधि का उपयोग करना।
(ग) आग के फैलाव को रोकना, जिसके लिए नजदीक में उपलब्ध बालू, मिट्टी, अगर तालाब हो तो उसके जल का उपयोग करना, अग्निशामक यंत्र को बुलाना, बगल के झुग्गी-झोपड़ी को उखाड़ फेंकना, विद्युत लाइन को विच्छेदित करना अतिआवश्यक है।
भूकंप की स्थिति में आकस्मिक प्रबंधन का तीन प्रमुख कार्य होता है
- बचे हुए विस्थापित लोगों को राहत कैंप में ले जाना या उसे सभी प्रकार की आवश्यक सुवि’ – उपलब्ध कराना।
- वैसे लोगों को मलवे से निकालना जो अभी भी दबे हुए हैं।
- अकाल मृत्युप्राय आम लोगों को और जानवरों को सही स्थान पर दफनाकर या धार्मिक रीतियों के अनुरूप अंतिम संस्कार करना। ऐसा नहीं करने से महामारी फैलने की संभावना रहती है।
सुनामी की स्थिति में पहली प्राथमिकता है कि घायल का प्राथमिक उपचार कर अस्पताल पहुँचाया जाय तथा लापता पता लगाने के लिए हेलिकॉप्टर, रडार जैसे यंत्रों की मदद ली जाय। शक्तिचालित नौकाएँ भी इस कार्य में सहायता ली जा सकती हैं।