The Bet is a nice story written by famous Russian write Anton Chenhove. In this story, a rich banker gives a party, where a discussion arose among the guests and the host regarding capital punishment and life imprisonment. Most of the guests were in favour of life imprisonment. They considered it more humane than execution. But the host disagreed to them.
The discussion turned into a bet. A young lawyers became ready to stay lonely in a cell as a prison for fifteen years. And if he succeeded to do so , the rich banker would have to pay him two million roubles.
The lawyer became successful to live lonely a cell for fifteen years. Meanwhile, the rich banker had turned into an ordinary banker. Fallen in debts. He feared to pay back. The money of the bet because then be would go ruined. So, he decided to kill the lawyer.
Fifteen years of prison and so much readings and loneliness had made the lawyer a very wise person. Now he hated money and worldly pleasures. He wrote in a note that he would run away from to the prison just five minutes earlier and would himself violate the agreement and lose the money of the bet.
When, the banker came to kill lawyer, he saw the sleeping lawyer and read the note written by him and wept at the poor fellow and silently went out of the room.
The next day, news spread out that the prisoner had run away. The banker went to the cell to confirm his fleeing and silently took the note written by the lawyer and placed it in his safe to be locked.
‘ द बेस्ट ‘ (बाजी) एक बढ़िया, मर्मस्परशी कहानी है जो रूसी लेखक एंटोन चेखव द्वारा लिखित है । इस हानी में ,एक धनी साहूकार अपने घर में पार्टी देता है, जहां एक विवाद छिड़ जाता है — मेजबान और मेहमानों के बीच की फाँसी की सजा ज्यादा मानवीय है या फिर उम्र कैद की ।अधिक उम्र कैद के पक्ष में थे जबकि मेहमान साहूकार फाँसी की सजा के पक्ष में था। वह मेहमानों के विचार से असहमत रहा।
विवाद आखिरकार एक बाजी में बदल गया। युवा वकील पंद्रह साल तक अकेले कोठरी में एक कैदी की भांति रहने को सहमत हो गया ।अगर वह ऐसा करने में सफल हो जाता तो उस धवन और साहूकार को उसे दो मिलियन रूबस (बीस लाख रुपए; देना तय हुआ। वह वकील पंद्रह साल तक अकेले ,कैद में रहने में सफल हो गया ।इस बीच वह धनी साहूकार एक साधारण साहूकार रह गया था जिस पर कर्ज बहुत ज्यादा चढ़ गया था। अब वह घबरा रहा था कि यदि बाजी की राशि उसे देना पड़ गई तो वह बर्बाद हो जाएगा। अतः उसने उस वकील को मार डालने का निश्चय कर लिया।
पंद्रह साल की कैद में अकेले रहने और खूब किताबें पढ़ने से वकील काफी ज्ञानी बन गया था। अब उसे धन और दुनिया वाली चीजों से नफरत हो गई थी। उसने एक कागज पर लिखा की कैद का समय पूरा होने के पाँच मिनट पहले ही वह भाग जाएगा और बाजी की राशि( धन )का खुद ही त्याग कर देगा।
जब वह साहूकार ,उस वकील को मारने के इरादे से उसके कमरे में आया, तो उसने उस सोए पड़े वकील के पास एक कागज पर कुछ लिखा देखा। जिसे पढ़कर उसकी आँखें भर जाए और वह चुपके से उस कमरे से बाहर आ गया।
अगले दिन यह समाचार फैल गया कि वह वकील समय से पाँच मिनट पहले ही भाग गया। वह साहूकार इस खबर को पक्का करने के लिए वकील के कमरे में गया और चुपके से टेबल पर रखा वह कागज उठाया और उसे लाकर अपनी तिजोरी में बंद कर कर दिया।
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