January Night


January Night is a English translation of very popular story of Munshi Premuchand in Hindi, titled as ” Poos ki Raat ‘. In this story Premuchand has pen- portrayed the life of tenant or small farmers.
Halku is such a tenant. He has to pay back the landlord some arrears. Then, when Jandlord asked for money he had only three with him. His wife Munni doesn’t want to spere that amount which she had saved for a blanket to fight with the cold. But coaxing her, Halku takes the money and hands over to the landlord . His wife says him to leave tenant- farming which only bears insult and dare poverty and to work as a hired labour for some good life.


At night, Halku comes to look over his field with his dog Jabra. He arranges some fire from broken dry leaves and dry sticks which was not sufficient to fight against the icy cold of January night. In deep night the wild nilgais attacks the field and eat up all the crop. There was only Jabra, breaking against them, but of no use…..he couldn’t scare away the wild animals. Whereas Halku dare not more from the dim fire, trying to sleep. In morning Jabra was found dead, when Munni awoke Halku and asked about the de- stroyed field. Halku delivered excuse that he had pain in his belly. Then at last, Munni said that now he would have to work at a hired labourer and pay off the rent and taxes. Halku was pleased. Now, he had note to sleep nights out in the cold.
‘ जनवरी की रात ‘ प्रख्यात कहानीकार मुंशी प्रेमचंद द्वारा हिन्दी में लिखित मशहूर कहानी ‘ पूस की रात ‘ का अंग्रेजी अनुवाद है। प्रस्तुत कहानी में मुंशी प्रेमचंद ने काश्तकार अथवा छोटे किसानों की दयनीय दशा का सुंदर शब्द- चित्र खींचा है।
हल्कू एक ऐसा ही काश्तकार है। उसके सिर पर जमींदार का ढेर सारा बकाया रुपए है। जब जमींदार ने पैसे के लिए मांग करवाया उस समय हलकों के घर में सिर्फ तीन रुपये थे। उसकी पत्नी मुन्नी ने बड़ी कठिनाई से वीर पर ठंड से लड़ने के लिए कंबल खरीदने हेतु जमा किया था । वह उन रुपये को देने के लिए तैयार नहीं हुई। जब हल्कू ने फुसलाकर कहा कि फिर वह कोई इंतजाम करेगा कंबल का, मुन्नी से पैसे ले जमींदार को दे दिया।


मुन्नी ने हल्कू से कहा कि वह खेती छोड़ दें जिसमें जमींदार का गुलाम बन कर रह जाना, कर्ज में दवा रहना और गालियां खाना और बिना भोजन का कई दफे राजा ना ही नसीब होता है।  वह हल्कू से कहती है कि इससे बेहतर तो वह मजदूरी कर ले ताकि खाने को तो भरपेट मिलेगा।
रात में हल्कू अपने कुत्ते औरत के साथ अपने खेत की रखवाली करने आता है । कुछ सूखी पत्तियां और सूखी लकड़ियों के अलावा जला वाह पूस की रात से लड़ने का प्रयत्न करता है। कभी जबरा  को अपने शरीर से चिपका गर्मी का एहसास करना चाहता है । तभी गहराती रात में जंगली नील गायों का झुंड खेत की फसलों को चट कर जाने को टूट पड़ते हैं। जबरा भौंग कर उन्हें भगाने का असफल प्रयास करता है । सुबह मनी आकर हल्कू को उठाती है और खेत का बुरा हाल दिखाओ उसे कोसती है तो हल्कू बहाना बना देता है कि रात उसका पेट दर्द के मारे बुरा हाल था ।उसकी जान पर बनी थी और उसे खेत की पड़ी है। तभी उन्हें खेत पर जबरा मरा परा दिखता है। तब, आखिर में ,मुन्नी हल्कू से कहती है कि अब उसे मजदूरी करना पड़ेगा और जमींदार के लगान और बाकी के कर्ज के पैसे चुकाने होंगे । हल्कू प्रसन्न होता है कि अब उसे सर्द रातों में खेत की रखवाली करते जागना नहीं पड़ेगा।