ऊर्जा की बढ़ती माँग की पूर्ति ज्यादातर जीवाश्म ईंधनों कोयला और पेट्रोलियम द्वारा पूरी की जाती है। परंतु ये स्रोत अनवीकरणीय एवं समाप्य हैं।
इसके दहन से वायुमंडल में प्रदूषण होता है। SO2, NO2 आदि गैसें मुक्त होती हैं, जिससे अम्लीय वर्षा होती है, जिसके कारण जल तथा मृदा के संसाधन प्रभावित होते हैं। इमारतों, लोहे की वस्तुओं, पुल इत्यादि को संक्षरित कर देते हैं। CO2 गैस ग्रीन हाउस प्रभाव उत्पन्न करती है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ जाता है तथा हिम के पिघलने पर समुद्र तल बढ़ता है। समुद्रीय तट पर स्थित क्षेत्र तथा टापुओं के डूबने का खतरा बढ़ जाता है। वायुमंडल में कोयले तथा पेट्रोलियम के दहन से अवांछनीय कण जैसे-शीशा (lead) धूल कण इत्यादि बढ़ जाते हैं। इस तरह हमारे परिस्थितिक तंत्र के नष्ट हो जाने का भय होता है।
ऊर्जा की खपत कम करने के उपाय-
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