जीवाश्मी ईंधन के उपयोग से निम्नलिखित हानियाँ हैं
- जीवाश्मी ईंधन बनने में करोड़ों वर्ष लगते हैं तथा इनके भंडार सीमित हैं।
- जीवाश्मी ईंधन ऊर्जा के अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत हैं।
- जीवाश्मी ईंधन जलने से वायु प्रदूषण होता है, जिसके फलस्वरूप कार्बन, नाइट्रोजन और सल्फर के अम्लीय आक्साइड; जैसे–CO2, NO2, SO2 आदि गैसें मुक्त होती हैं, जो अम्लीय वर्षा कराती हैं तथा जल एवं मृदा के संसाधनों को प्रभावित करती हैं।
- अतिरिक्त CO2 के कारण ग्रीन हाउस प्रभाव होता है।
- वायु प्रदूषण के कारण श्वसन संबंधी रोग होते हैं।