क्यों सिर्फ जाति के आधार पर भारत में चुनावी नतीजे तय नहीं हो सकते? इसके _ : दो कारण बतावें। .


(i) किसी भी निर्वाचन क्षेत्र का गठन इस प्रकार नहीं किया गया है कि उसमें मात्र एक जाति के मतदाता रहें। ऐसा हो सकता है कि एक जाति के मतदाता की संख्या अधिक हो सकती है, परन्तु दूसरे जाति के मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। अतएव हर पार्टी एक या एक से अधिक जाति के लोगों का भरोसा करना चाहता है।
(ii) अगर जातीय भावना स्थायी और अटूट होती तो जातीय गोलबंदी पर सत्ता में आनेवाली पार्टी की कभी हार नहीं होती है। यह माना जा सकता है कि क्षेत्रीय पार्टियाँ जातीय गुटों से संबंध बनाकर.सत्ता में आ जाये, परन्तु अखिल भारतीय चेहरा पाने के लिए जाति विहीन, साम्प्रदायिकता के परे विचार रखना आवश्यक होगा।




Related Topics
=> ‘हर सामाजिक विभिन्नता सामाजिक विभाजन का रूप नहीं लेती’। कैसे?
=> सामाजिक अन्तर कब और कैसे सामाजिक विभाजनों का रूप ले लेते हैं?
=> ‘सामाजिक विभाजनों की राजनीति के परिणामस्वरूप ही लोकतंत्र के व्यवहार में परिवर्तन होता है। भारतीय लोकतंत्र के संदर्भ में इसे स्पष्ट करें।
=> सत्तर के दशक से आधुनिक दशक के बीच भारतीय लोकतंत्र का सफर सामाजिक न्याय के संदर्भ में का संक्षिप्त वर्णन करें।
=> सामाजिक विभाजनों की राजनीति का परिणाम किन-किन चीजों पर निर्भर करता है?
=> सामाजिक विभाजनों को संभालने के संदर्भ में इनमें से कौन-सा बयान लोकतांत्रिक व्यवस्था पर लागू नहीं होता?
=> निम्नलिखित व्यक्तियों में कौन लोकतंत्र में रंगभेद के विरोधी नहीं थे?
=> निम्नलिखित का मिलान करें क पाकिस्तान अ धर्मनिरपेक्ष ख हिन्दुस्तान ब इस्लाम ग इंग्लैंड स प्रोस्टेंट
=> भावी समाज में लोकतंत्र की जिम्मेवारी और उद्देश्य पर एक अक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
=> भारत में किस तरह जातिगत असमानताएँ जारी हैं ?
=> क्यों सिर्फ जाति के आधार पर भारत में चुनावी नतीजे तय नहीं हो सकते? इसके _ : दो कारण बतावें। .
=> विभिन्न तरह की साम्प्रदायिक राजनीति का ब्योरा दें और सबके साथ एक-एक उदाहरण दें।
=> जीवन के विभिन्न पहलुओं का जिक्र कर जिसमें भारत में स्त्रियों के साथ भेदभाव है या वे कमजोर स्थिति में हैं ?
=> भारत की विधायिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति क्या है ?
=> किन्हीं दो प्रावधानों का जिक्र करें जो भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनाते हैं
=> भारत में यहाँ औरतों के लिए आरक्षण की व्यवस्था है-
=> साम्प्रदायिक राजनीतिक के अर्थ संबंधी निम्न कथनों पर गौर करें। साम्प्रदायिक राजनीति किस पर आधारित है?
=> भारतीय संविधान के बारे में इनमें से कौन-सा कथन सही है ?
=> ……….पर आधारित विभाजन सिर्फ भारत में है।
Related Topics
=> ‘हर सामाजिक विभिन्नता सामाजिक विभाजन का रूप नहीं लेती’। कैसे?
=> सामाजिक अन्तर कब और कैसे सामाजिक विभाजनों का रूप ले लेते हैं?
=> ‘सामाजिक विभाजनों की राजनीति के परिणामस्वरूप ही लोकतंत्र के व्यवहार में परिवर्तन होता है। भारतीय लोकतंत्र के संदर्भ में इसे स्पष्ट करें।
=> सत्तर के दशक से आधुनिक दशक के बीच भारतीय लोकतंत्र का सफर सामाजिक न्याय के संदर्भ में का संक्षिप्त वर्णन करें।
=> सामाजिक विभाजनों की राजनीति का परिणाम किन-किन चीजों पर निर्भर करता है?
=> सामाजिक विभाजनों को संभालने के संदर्भ में इनमें से कौन-सा बयान लोकतांत्रिक व्यवस्था पर लागू नहीं होता?
=> निम्नलिखित व्यक्तियों में कौन लोकतंत्र में रंगभेद के विरोधी नहीं थे?
=> निम्नलिखित का मिलान करें क पाकिस्तान अ धर्मनिरपेक्ष ख हिन्दुस्तान ब इस्लाम ग इंग्लैंड स प्रोस्टेंट
=> भावी समाज में लोकतंत्र की जिम्मेवारी और उद्देश्य पर एक अक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
=> भारत में किस तरह जातिगत असमानताएँ जारी हैं ?
=> क्यों सिर्फ जाति के आधार पर भारत में चुनावी नतीजे तय नहीं हो सकते? इसके _ : दो कारण बतावें। .
=> विभिन्न तरह की साम्प्रदायिक राजनीति का ब्योरा दें और सबके साथ एक-एक उदाहरण दें।
=> जीवन के विभिन्न पहलुओं का जिक्र कर जिसमें भारत में स्त्रियों के साथ भेदभाव है या वे कमजोर स्थिति में हैं ?
=> भारत की विधायिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति क्या है ?
=> किन्हीं दो प्रावधानों का जिक्र करें जो भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनाते हैं
=> भारत में यहाँ औरतों के लिए आरक्षण की व्यवस्था है-
=> साम्प्रदायिक राजनीतिक के अर्थ संबंधी निम्न कथनों पर गौर करें। साम्प्रदायिक राजनीति किस पर आधारित है?
=> भारतीय संविधान के बारे में इनमें से कौन-सा कथन सही है ?
=> ……….पर आधारित विभाजन सिर्फ भारत में है।