सामाजिक अन्तर कब और कैसे सामाजिक विभाजनों का रूप ले लेते हैं?


सामाजिक अन्तर एवं सामाजिक विभाजन में बहुत बड़ा अन्तर पाया जाता है। सामाजिक विभाजन तब होता है जब कुछ सामाजिक अन्तर दूसरी अनेक विभिन्नताओं से ऊपर और बड़े हो जाते हैं। सवर्णों और दलितों का अन्तर एक सामाजिक विभाजन है, क्योंकि दलित सम्पूर्ण देश में आमतौर पर गरीब, वंचित एवं बेघर हैं और भेदभाव के शिकार हैं जबकि सवर्ण आमतौर पर सम्पन्न एवं सुविधायुक्त हैं। अर्थात् दलितों को महसूस होने लगता है कि वे दूसरे समुदाय के हैं। अतः हम कह सकते हैं कि जब एक तरह का सामाजिक अन्तर अन्य अन्तरों से ज्यादा महत्वपूर्ण बन जाता है और लोगों को यह महसूस होने लगता है कि वे दूसरे समुदाय के हैं तो इससे सामाजिक विभाजन की स्थिति पैदा होती है। जैसे- अमेरिका में श्वेत और अश्वेत का अन्तर सामाजिक विभाजन है। वास्तव में उपर्युक्त कथनों के अध्ययन के बाद यह स्पष्ट होता है कि सामाजिक अन्तर उस समय सामाजिक विभाजन बन जाता है जब अन्य अन्तरों से ज्यादा महत्वपूर्ण बन जाता है।




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