किसानों को साख अथवा ऋण की आवश्यकता इसलिए पड़ती है कि अधिकांश किसान छोटे या सीमांत श्रेणी के होते हैं जिनके पास आय की कमी है तथा वे अपना बचत नहीं के बराबर कर पाते हैं। परिणामस्वरूप कृषि एवं उससे संबंधित उद्योगों में अपेक्षित निवेश नहीं कर पाते हैं। इसके लिए उन्हें वित्तीय संस्थाओं द्वारा प्राप्त साख अथवा ऋण की आवश्यकता पड़ती है।