लोकतंत्र की सफलता के लिए महिलाओं का राजनीति में भागीदारी लोकतंत्र के विकास में बहुत ही महत्वपूर्ण है। देश की आधी आबादी महिलाओं की है। इसलिए महिलाओं ने आजादी ‘ के समय बढ़-चढ़कर भाग लिया था। उस समय की महत्वपूर्ण नारी नेता सरोजनी नायडू, अरुणा आसिफ अली, विजय लक्ष्मी पण्डित इत्यादि ने भारत की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
हमारे राज्य बिहार में स्वतंत्रता के समय महिलाएं अंग्रेजों के सामने डटी रहीं। इस प्रदेश में महिलाएं राजनीति के क्षेत्र में अपना नाम रौशन कर रही हैं। जिसका ज्वलंत उदाहरण वर्तमान में -15वीं लोकसभा के अध्यक्ष मीरा कुमार हैं। इससे पूर्व बिहार में राबड़ी देवी ने मुख्यमंत्री पद को सुशोभित किया है। महिला आरक्षण के लिए महिलाओं ने बिहार में आंदोलन किया है जिससे यह पता चलता है कि राजनीति की समझ महिलाओं में पैदा हुई है। बिहार की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी इस बात को लेकर और बढ़ी है कि महिला आरक्षण विधेयक संसद में पारित होने के लिए राज्य सभा में गया तो महिलाओं ने इस पर खुशी जाहिर की।
किसी भी देश के विकास के लिए महिलाओं को शिक्षित होना और सशक्त होना ज्यादा जरूरी है, क्योंकि महिलाओं की संख्या देश की आबादी की आधी है। बिहार की लगभग सभी पार्टियों ने चुनाव में लड़ने के लिए महिलाओं को टिकट दी है जिससे यह पता चलता है कि लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में महिलाएँ राजनीति के क्षेत्र में अपना योगदान अच्छी तरह से दे सकती हैं। अतः बिहार की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बहुत ही महत्वपूर्ण होगी।
बिहार की महिलाएं राष्ट्र की प्रगति के लिए पुरुषों के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। खेतीबारी से लेकर वायुयान उड़ाने और अंतरिक्ष तक जा रही है। इसके बावजूद वे दोयम दर्जे की शिकार हैं। ग्रामीण महिलाओं के लिए सरकार ने नई पंचायती राजव्यवस्था में आरक्षण का प्रावधान किया है। गाँवों में आज महिलाएं पंच और सरपंच चुनी जा रही हैं। अतः हम कहते हैं कि राजनीति में महिलाओं की भागीदारी से बिहार राज्य का निरन्तर विकास होगा और लोकतंत्र की जड़ बिहार में और मजबूत होगी।
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