भारतीय लोकतंत्र प्रतिनिध्यात्मक लोकतंत्र है। इसमें शासन का संचालन जन-प्रतिनिधियों द्वारा किया जाता है। भारतीय लोकतंत्र के तीन अंग हैं-कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका। लोकतंत्र में न्यायपालिका की भूमिका लोकतंत्र के लिए चुनौती बनती जा रही है। वह अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर कार्यपालिका एवं विधायिका को प्रभावित करती है जिससे संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। जब विधायिका कानून पारित करती है तो न्यायपालिका उस कानून को व्यावहारिक-सौर पर उसमें फेर-बदल के लिए विधायिका पर दबाव डालने की कोशिश करती है जिससे टकराव की स्थिति उत्पन्न होती है।
न्यायपालिका को विधायिका द्वारा बनाये गये कानून पर मनन करना चाहिए जिससे तीनों अंग कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका सामंजस्य बनाकर लोकतंत्र को मजबूत कर सकते हैं।
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