शहरीकरण की प्रक्रिया ने सामाजिक जीवन में काफी बदलाव लाया। ग्रामीण जीवन मुख्यतः कृषिप्रधान अर्थव्यवस्था पर आधारित थी परंतु नगरीय जीवन गतिशील मुद्रा प्रधान अर्थव्यवस्था पर आधारित था।
रोजगार के साधनों की अधिकता के कारण शहर में लोगों का जीवन स्तर ऊपर उठने लगा जिससे शिक्षा का प्रसार सामाजिक जीवन में एक नया बदलाव लेकर आया। लोगों में स्वार्थ की भावना बढ़ने लगी, अधिकाधिक धनपार्जन के लिए प्रतिस्पर्धी माहौल बढ़ने लगा। लोगों के जीवन में सुविधाएँ तो बढ़ने लगीं परन्तु कलुषता और कुविचार भी बढ़ने लगे जिससे मानवता की भावना घटने लगी। लोग सिर्फ अपने ही बारे में सोचने लगे। सामाजिक जीवन में आधुनिकता का बोलबाला बढ़ने लगा। नगरीय जीवन और आधुनिकता एक-दूसरे के पूरक बन गए। व्यक्तिवाद की भावना बढ़ने लगी।
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