शहरों के विकास की पृष्ठभूमि मध्यकालीन सामंती सामाजिक संरचना एवं मध्यकालीन जीवन मूल्य तेरहवीं शताब्दी तक अपने शिखर पर था। कई प्रतिरोधों के पश्चात भी यह व्यवस्था ने नई एवं बाह्य शक्तियों को जो इसे परिवर्तित करना चाहती थी यथासंभव नियंत्रित रखा, रोका और अपने में समाहित किया। अंततः एक नई सामाजिक एवं राजनीतिक संरचना विकसित हुई, जो अपनी परम्पराओं एवं स्वरूप के लिए प्राचीन परिपाटी के प्रति ऋणी तो थी, किन्तु नवीन राजनीतिक एवं आर्थिक अवधारणाओं को स्वीकार करती थी जो अधिक लौकिक एवं जिज्ञासु प्रवृत्ति से प्रेरित थी। इसी पृष्ठभूमि में शहरी जीवन का पुनः उदय हुआ।
शहरीकरण की प्रक्रिया- तीन ऐतिहासिक प्रक्रियाओं ने आधुनिक शहरों की स्थापना में निर्णायक भूमिका निभाई।
इस तरह ग्रामीण एवं सामंती व्यवस्था से हटकर एक प्रगतिशील शहरी व्यवस्था की ओर बढ़ने की प्रवृत्ति बढ़ी। अतः नगरवाद जनसमूह के एक बड़े भाग की जीवन पद्धति के रूप में आधुनिक घटना है।
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