भारत में समाचारपत्रों का उदय 19वीं सदी की एक महत्वपूर्ण विशेषता है। यह न सिर्फ विचारों को तेजी से फैलाने वाला अनिवार्य सामाजिक संस्था बन गया बल्कि ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध भारतीयों की भावना को एक रूप देने, प्रेम की भावना जागृत कर राष्ट्रनिर्माण में | महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहण किया। । भारतीयों द्वारा प्रकाशित प्रथम समाचारपत्र 1816 में गंगाधर भटाचार्य का साप्ताहिक बंगाल गजट था। 1818 में ब्रिटिश व्यापारियों ने जैम्स सिल्क वर्धिम नामक पत्रकार की सेवा प्राप्त की।
इसने बड़ी योग्यता से कलकत्ता जर्नल का सम्पादन करके लार्ड हेस्टिंग्स तथा जॉन एडम्स को परेशानी तथा उलझन में डाल दिया। बकिंघम ने अपने पत्रकारिता के माध्यम से प्रेस को जनता का प्रतिनिधि बनाया। इसने प्रेस को आलोचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने, जाँच-पड़ताल करके समाचार देने तथा नेतृत्व प्रदान करने की ओर प्रवृत किया। अनेक प्रगतिशील राष्ट्रीय प्रवृति के समाचारपत्रों का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। इन समाचारपत्रों के संस्थापक राजाराम मोहन राय थे। इन्होंने सामाजिक धार्मिक सुधार आन्दोलन को हथियार भी बनाया। अंग्रेजी में ब्राझिनिकल मैगजीन भी राममोहन राय ने निकाला। 1822 में बंबई से गुजराती भाषा में दैनिक बम्बई समाचार निकलने लगे। द्वारकानाथ टैगोर, प्रसन्न कुमार टैगोर तथा राममोहन राय के प्रयास से 1830 में बेंगदत की स्थापना हुई। 1831 में जामे जमशेद 1851 में गोफ्तर तथा अखबार सौदागर का प्रकाशन आरम्भ हुआ।
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