हम जानते हैं कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है। अत: सूचना की आवश्यकता ने आविष्कार हेतु ज्ञान जगत को प्रेरित किया।
मुद्रण कला के आविष्कार और विकास का श्रेय चीन को जाता है। 1041 ई. में एक चीनी व्यक्ति पि-शिंग ने मिट्टी के मुद्रा बनाए। इन अक्षर मुद्रों का संयोजन कर छपाई का कार्य किया जाता था। बाद में इस पद्धति ने ब्लाक प्रिंटिंग का स्थान ले लिया। कोरियन लोगों ने कुछ समय पश्चात लकड़ी एवं धातु पर खोदकर टाइप बनाए। धातु के मूवेबुल टाइपों द्वारा प्रथम पुस्तक 13वीं सदी के पूर्वार्द्ध में मध्य कोरिया में छापी गई।
यद्यपि मूवेबल टाइपों द्वारा मुद्रण कला का आविष्कार तो पूरब में ही हुआ परन्तु इस कला का विकास यूरोप में अधिक हुआ। लकड़ी के ब्लॉक द्वारा होने वाली मुद्रण कला समरकन्द-पर्शिया मार्ग से व्यापारियों द्वारा यूरोप, सर्वप्रथम रोम में प्रविष्ट हुई। 13वीं सदी के अंतिम में रोमन मिशनरी एवं मार्कोपोलो द्वारा ब्लॉक प्रिंटिंग के नमूने यूरोप पहुँचे। वहाँ इस कला का प्रयोग ताश खेलने एवं धार्मिक चित्र छापने के लिए किया गया। इसी बीच कागज बनाने की कला 11वीं शताब्दी में पूरब से यूरोप पहुँची तथा 1336 में प्रथम पेपर मिल की स्थापना जर्मनी में हुई। इसी काल में शिक्षा के प्रसार, व्यापार एवं मिशनरियों की बढ़ती गतिविधियों से सस्ती मुद्रित सामग्रियों की मांग तेजी से बढ़ी। इसी की पूर्ति के लिए तेज और सस्ती मुद्रण तकनीक की आवश्यकता थी जिसे (1430 के दशक में) स्ट्रेस बर्ग के योहान गुटेनबर्ग ने अंततः कर दिखाया।
गुटेनबर्ग ने अपने ज्ञान एवं अनुभव से टुकड़ों में बिखरी मुद्रण कला के ऐतिहासिक शोध को संघटित एवं एकत्रित किया तथा टाइपों के लिए पंच, मेट्रिक्स, मोल्ड आदि बनाने पर योजनाबद्ध तरीके से कार्यारम्भ किया।
गुटेनबर्ग ने आवश्यकतानुसार मुद्रण स्याही बनायी और हैण्डप्रेस ने प्रथम बार मुद्रण कार्य सम्पन्न किया। इसने लकड़ी के चौखट में दो समतल भाग-प्लेट एवं बेड-एक के नीचे दूसरा समानान्तर रूप से रखा। कम्पोज किया हुआ टाइप मैटर वेड पर कसा एवं उसपर स्याही लगाकर तथा कागज रखकर प्लेट्स द्वारा दबाकर मुद्रण कार्य किया। बाद में गुटेन बर्ग ने ही पुनः मुद्रा एवं हैण्ड प्रेस का विकास किया।
हालाँकि विवादों में घिरने के बावजूद मेंज में शुरू होकर पूर्णता को पहुंची मुद्रण कला का प्रसार शीघ्रता से यूरोपीय देशों एवं अन्य स्थानों में हुआ।
1475 ई. में सर विलयम कैक्सटनं मुद्रण कला को इंगलैंड में लाए तथा वेस्ट मिन्सटर कस्बे में उनका प्रथम प्रेस स्थापित हुआ। पुर्तगाल में इसकी शुरूआत 1544 ई. में हुई, तत्पश्चात् यह आधुनिक रूप में विश्व के अन्य देशों में पहुंची। 18वीं सदी के अंत तक प्रेस धातु के बनने लगे। 19वीं सदी के मध्य तक न्यूयार्क के रिचर्ड एम. हो ने शक्ति चालित बेलनाकार प्रेस को कारगर बना दिया। 20वीं सदी के अंत तक ऑफसेट प्रेस आ गया।
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