भूकंप एवं सुनामी के विनाशकारी प्रभाव से बचने के उपायों का वर्णन कीजिए।


भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है जिससे बचाव के लिए. बहुआयामी प्रयास आवश्यक हैं इन प्रयासों को निम्नांकित शीर्षकों के अन्तर्गत रखा जा सकता है
(i) भूकंप का पूर्वानुमान, (ii) भवन निर्माण, (iii) जानमाल की सुरक्षा, (iv) प्रशासनिक कार्य, (v) गैर-सरकारी संगठनों का सहयोग।

पूर्व, तरंग और अनुकंपन तरंगों को यदि भूकंपलेखी यंत्र पर ठीक से मापन किया जाय तो तरंगों की प्रवृत्ति के आधार पर संभावित बड़े भूकंप का पूर्वानुमान किया जा सकता है।

भूकंपनिरोधी मकान बनाने चाहिए। जनमाल की सुरक्षा हेतु विशेष सुरक्षा बलों की आवश्यकता है।
भूकंप से बर्बादी को रोकने में प्रशासनिक सतर्कता अतिआवश्यक है। इसके लिए मीडिया, पुलिस और जिला प्रशासन को अधिक सक्रिय होने की जरूरत है।

भूकंप की तबाही को रोकने में गैर-सरकारी संगठनों की अहम भूमिका होती है। ये संस्थाएँ न सिर्फ तत्काल राहत पहुँचाने में मदद कर सकते हैं वरन् भूकंपनिरीधी भवन निर्माण तथा भूकंप से तत्काल बचाव के लिए प्रशिक्षित भी कर सकते हैं। दबे हुए मलवे से आमलोगों को निकालने हेतु सामान्य तरीकों के अलावा सरकारी तंत्र की मदद से नवीन तकनीक का उपयोग करते हुए
साँस लेते हुए मानव को बचाने का कार्य कर सकते हैं।

विद्यालय में बच्चों को भूकंप से बचाव की जानकारी दी जानी चाहिए। भूकंप की तरह ही सुनामी भी प्राकृतिक आपदा है जिसमें समुद्र के बीच स्टेशन/प्लेटफार्म बनाने चाहिए जिससे पूर्व सूचना मिलने पर वहाँ से लोगों को हटाया जा सके।
सुनामी से बचाव के लिए कंक्रीट तटबंध बनाने की जरूरत है। इस कारण तट से टकराने-वाले सुनामी तरंगों का तटीय मैदान पर सीमित प्रभाव होगा। तटबंध के किनारे मैंग्रोव जैसी वनस्पति को लगाना चाहिए।

राज्य सरकार तथा गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा तटीय प्रदेश में रहनेवाले, लोगों को सुनामी से बचाव का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। सुनामी से प्रभावित लोगों को तत्काल चिकित्सा सुविधा, शुद्ध पेयजल और भोजन की व्यवस्था, असामाजिक तत्वों द्वारा लूट-पाट न हो इसके लिए आमलोगों का सहयोग लेना अतिआवश्यक है।