कार्ल मार्क्स की जीवनी एवं सिद्धान्तों का वर्णन करें।


कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई, 1818 ई. को जर्मनी में राइन प्रांत के ट्रियर नगर में एक यहूदी परिवार में हुआ था। कार्ल मार्क्स के पिता हेनरिक मार्क्स एक प्रसिद्ध वकील थे, जिन्होंने बाद में चलकर ईसाई धर्म ग्रहण कर लिया था। मार्क्स ने बोन वि. वि. में विधि की शिक्षा ग्रहण की परन्तु 1836 में वे बर्लिन वि. वि. चले आए जहाँ उनके जीवन को एक नया मोड़ मिला। मार्क्स हीगल के विचारों से प्रभावित थे। 1843 में उन्होंने बचपन की मित्र जेनी से विवाह किया। उन्होंने राजनीतिक एवं सामाजिक इतिहास पर मांण्टेस्क्यू तथा रूसो के विचारों का गहन अध्ययन किया। कार्ल मार्क्स की मुलाकात पेरिस में 1844 ई. में फ्रेडरिक एंगेल्स से हुई जिनसे जीवन भर उनकी गहरी मित्रता बनी रही। एंगेल्स के विचारों एवं रचनाओं से प्रभावित होकर मार्क्स ने भी श्रमिक के कष्टों एवं उनकी कार्य की दशाओं पर गहन विचार करना आरंभ कर दिया। मार्क्स ने एंगेल्स के साथ मिलकर 1948 ई. में एक साम्यवादी घोषणापत्र प्रकाशित किया जिसे आधुनिक समाजवाद का जनक कहा जाता है। उपर्युक्त घोषणा पत्र में मार्क्स ने अपने आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया है। मार्क्स विश्व के उन गिने-चुने चिंतकों में एक हैं जिन्होंने इतिहास की धारा को व्यापक रूप से प्रभावित किया है। मार्क्स ने 1867 ई. में ‘दास कैपिटल’ नामक पुस्तक की रचना की जिसे “समाजवादियों की बाइबिल” कहा जाता है।

मार्क्स ने कुछ सिद्धांत दिए जो निम्नलिखित हैं

  • द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद का सिद्धांत
  • वर्ग संघर्ष का सिद्धांत
  • इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या
  • मूल्य एवं अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत
  • राज्यहीनं व वर्गहीन समाज की स्थापना।