लोकतंत्र एक ऐसी शासन-व्यवस्था है जो लोगों का, लोगों के लिए तथा लोगों द्वारा संचालित होती है। इसमें सत्ता का विकेन्द्रीरण होता है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था ही एकमात्र ऐसी शासन व्यवस्था है जिसमें ताकत सभी के हाथों में होती है। सभी को राजनीतिक शक्तियों में हिस्सेदारी या साझेदारी करने की व्यवस्था की जाती है। ये अपने अन्दर के विभिन्न समूहों के बीच प्रतिद्वन्द्विताओं एवं सामाजिक विभाजनों को संभालने की प्रक्रिया विकसित कर लेती है जिससे – इन टकरावों के विस्फोटक रूप लेने की आशंका कम हो जाती है।
कोई भी समाज अपने में व्याप्त विविधताओं और विभिन्नताओं को स्थायी तौर पर खत्म नहीं कर सकता है, पर इन अन्तरों, विभेदों और विविधताओं का आदर करने के लिए उन्हें सत्ता में साझेदार बनाकर समाज में सहयोग, सामंजस्य एवं स्थायित्व का सृजन किया जा सकता है। इस कार्य के लिए लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं सबसे अच्छी होती हैं, क्योंकि आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के बहुत सारे प्रावधान किये जाते हैं।
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