मुद्रा के आर्थिक महत्व पर प्रकाश डालें।


आधुनिक आर्थिक व्यवस्था में मुद्रा का काफी महत्व है। यदि मुद्रा को वर्तमान समाज से हट दिया जाए तो हमारी सारी आर्थिक व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो जाएगी। यदि मुद्रा न होती तो विश्व के विभिन्न देशों में इतनी आर्थिक प्रगति कभी भी संभव नहीं होती। चाहे पूंजीवादी अर्थव्यवस्था हो या समाजवादी अर्थव्यवस्था हो या मिश्रित अर्थव्यवस्था हो, सभी में मुद्रा अधिक विकास के मार्ग में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। मुद्रा के आर्थिक महत्व के बारे में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ट्रेस्कॉट (Trescoft) ने कहा है कि “यदि मुद्रा हमारी अर्थव्यवस्था का हृदय नहीं तो रक्त-स्रोत तो अवश्य है।”

आज का आर्थिक जगत मुद्रा के बिना एक क्षण भी जीवित नहीं रह सकता। इसलिए प्रो. मार्शल (Marshal) ने कहा है “मुद्रा वह धूरी है जिसके चारों तरफ सम्पूर्ण आर्थिक विज्ञान चक्कर काटता है।” मुद्रा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए क्राउथर (Crowther) ने कहा है कि “ज्ञान की प्रत्येक शाखा की अपनी-अपनी मूल खोज होती है। जैसे यंत्रशास्त्र में चक्र, विज्ञान में अग्नि, राजनीतिशास्त्र में वोट, ठीक उसी प्रकार, मनुष्य के आर्थिक एवं व्यावसायिक जीवन में मुद्रा सर्वाधिक उपयोगी आविष्कार है जिस पर सम्पूर्ण व्यवस्था ही आधारित है।”

अतः स्पष्ट है कि आधुनिक जीवन प्रत्येक दिशा में मुद्रा के द्वारा प्रभावित होता है। प्रो. पीगू (Pigou) का कहना सही लगता है कि “आधुनिक विश्व में उद्योग मुद्रा रूपी वस्त्र धारण किए हुए हैं।” फलत: मुद्रा का आर्थिक जगत में महत्वपूर्ण स्थान है।