आर्थिक विकास क्या है ? आर्थिक विकास तथा आर्थिक वृद्धि में अंतर बतावें।


आर्थिक विकास के अर्थ को समझने के लिए विद्वानों द्वारा की गई परिभाषा को समझना आवश्यक है। आर्थिक विकास की परिभाषा को लेकर अर्थशास्त्रियों में काफी मतभेद है। इसकी एक सर्वमान्य परिभाषा नहीं दी जा सकती है। परन्तु कुछ विद्वानों ने इसकी परिभाषा निम्न रूप में दी है-

प्रो. रोस्टोव (Rostoe) के अनुसार “आर्थिक विकास एक ओर श्रम-शान्ति में वृद्धि की दर तथा दूसरी ओर जनसंख्या में वृद्धि के बीच का सम्बन्ध हैं।”

प्रो. मेयर एवं बाल्डविन (Meier and Baldwin) में परिभाषा देते हुए कहा है कि “आर्थिक विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा दीर्घकालीन में किसी अर्थव्यवस्था का वास्तविक राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है।”

अतः उपरोक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने के बाद यह स्पष्ट होता है कि आर्थिक विकास आवश्यक रूप से परिवर्तन की प्रक्रिया है। इससे अर्थव्यवस्था के ढाँचे में परिवर्तन होते हैं। इसके चलते प्रति व्यक्ति वास्तविक आय बदलती है तथा आर्थिक विकास के निर्धारक निरन्तर बदलते , रहते हैं।

 

अन्तर आर्थिक विकास तथा आर्थिक वृद्धि में कोई अंतर नहीं माना जाता है। दोनों शब्दों को एक-दूसरे के स्थान पर प्रयोग किया जाता है। लेकिन इधर अर्थशास्त्रियों द्वारा इन दोनों के बीच अन्तर किया जाने लगा है।

श्रीमती उर्शला हिक्स (Mr. Urshala Hicks) के अनुसार “वृद्धि शब्द का प्रयोग आर्थिक दृष्टि से विकसित देशों के संबंध में किया जाता है जबकि विकास शब्द का प्रयोग अविकसित अर्थव्यवस्थाओं के संदर्भ में किया जा सकता है।” डॉ. ब्राईट सिंह (Dr. Bright Singh) ने भी लिखा है कि Growth शब्द का प्रयोग विकसित देशों के लिए किया जा सकता है।

इसी तरह मैंड्डीसन (Maddison) नामक एक अर्थशास्त्री ने बताया है कि धनी देशों में आय का बहता हुआ स्तर ‘आर्थिक वृद्धि’ (Economic Growth) का सूचक होता है जबकि निर्धन देशों में आय का बढ़ता हआ स्तर “आर्थिक विकास” (Economic Development) का सूचक होता है।

वस्तव में उपरोक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने पर यह स्पष्ट होता है कि आर्थिक विकास एवं आर्थिक वृद्धि दोनों ही आर्थिक प्रगति के सूचक हैं और दोनों में स्पष्ट अन्तर दिखाई पड़ता है।