1.यदि एक ‘लक्षण-A’ अलैंगिक प्रजनन वाले समष्टि के 10 प्रतिशत जीवों में पाया जाता है तथा ‘लक्षण B’ उसी समष्टि के 60 प्रतिशत जीवों में पाया जाता है, तो कौन-सा लक्षण पहले उत्पन्न हुआ होगा?

लक्षण-B पहले उत्पन्न हुआ होगा क्योंकि यह 60 प्रतिशत है तथा पीढ़ी दर पीढी लक्षण (trail or variations) किसी समष्टि की जनसंख्या संग्रहित होते हैं।

2.विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज़ का अस्तित्व किस प्रकार बढ़ जाता है?

विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज़ के अस्तित्व की संभावना इसलिए बढ़ जाती है, क्योंकि वह स्पीशीज़ स्वयं को वातावरण के अनुसार अनुकूलित करने में सक्षम हो जाता है। उदाहरण के लिए उष्णता को सहन करने की क्षमता वाले जीवाणुओं को अधिक गर्मी से बचने की संभावना अधिक होती है। यदि वैश्विक ऊष्मीकरण (global warming) के कारण जल का ताप बढ़ जाता है, तो जीवाणु मर जाते हैं केवल उष्ण प्रतिरोधी क्षमता वाले ही जीवित रह पाते हैं।

3.मेंडल के प्रयोगों द्वारा कैसे पता चला कि लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी हैं?

मेंडल ने पाया कि शुद्ध लंबे मटर के पौधे तथा शुद्ध बौने मटर के पौधे के बीच संकरण से F1 पीढ़ी में प्राप्त सभी पौधे लंबे थे।
I.
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अर्थात्, दो लक्षणों में से केवल एक पैतृक जनकीय लक्षण ही दिखाई देता है।
इसे प्रभावी लक्षण (Dominant traits) कहते हैं।
द्वितीय चरण में उन्होंने F1 (T t) पीढ़ी से प्राप्त पौधों में स्वपरागण करवाया तो पाया कि लंबे तथा बौने पौधे का अनुपात 3:1 था। अर्थात् F2 पीढ़ी में भी लंबे पौधे प्रभावी थे, परंतु बौने पौधे अप्रभावी लक्षण (recessive traits) वाले भी थे।
II.
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अर्थात् मेंडल के प्रयोग से स्पष्ट हो जाता है कि लक्षण प्रभावी या अप्रभावी हो सकते हैं।

4.मेंडल के प्रयोगों से कैसे पता चला कि विभिन्न लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं?

मेंडल के प्रयोग में F, पीढी के सभी पौधे लंबे थे तथा पुनः जब F, पीढी के दो पौधों का संकरण किया गया तब F2 पीढ़ी के पौधे या तो लंबे या बौने थे। लंबे तथा बौने का अनुपात 3-1 था। कोई भी पौधा बीच की ऊँचाई का नहीं था। अर्थात् लंबे/बौनेपन का लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं।

5.एक ‘A-रुधिर वर्ग’ वाला पुरुष एक स्त्री जिसका रुधिर वर्ग ‘O’ है, से विवाह करता है। उनकी पुत्री का रुधिर वर्ग – ‘O’ है। क्या यह सूचना पर्याप्त है यदि आपसे कहा जाए कि कौन-सा विकल्प लक्षण-रुधिर वर्ग -A अथवा ‘O’ प्रभावी लक्षण है? अपने उत्तर का स्पष्टीकरण दीजिए

नहीं, यह सूचना पर्याप्त नहीं है, क्योंकि

  1. यदि रक्त समूह A प्रभावी हो तथा रक्त समूह O अप्रभावी तब भी पुत्री का रुधिर समूह (वर्ग) O हो सकता | है।।
  2. यदि रक्त वर्ग A अप्रभावी परंतु रक्त वर्ग O प्रभावी हो तब भी पुत्री का रक्त वर्ग O हो सकता है।UP Board Solutions for Class 10 Science Chapter 9 Heredity and Evolution 3

6.मानव में बच्चे का लिंग निर्धारण कैसे होता है?

बच्चों का लिंग निर्धारण इस बात पर निर्भर करता है कि उन्हें अपने पिता से किस प्रकार का गुणसूत्र प्राप्त हुआ है। जिस बच्चे को अपने पिता से ‘X’ गुणसूत्र वंशानुगत हुआ है वह लड़की तथा जिसे पिता से ‘Y’ गुणसूत्र वंशानुगत होता है, वह लड़का होगा।

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7.वे कौन से विभिन्न तरीके हैं, जिनके द्वारा एक विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है?

निम्नलिखित तरीकों द्वारा एक विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है।

  1. प्राकृतिक चयन (Natural selection)-प्रकृति द्वारा लाभप्रद विविधताओं वाली समष्टि को सतत् बनाए रखना प्राकृतिक चयन कहलाता है। वे लक्षण जो किसी व्यष्टि जीव के उत्तरजीविता तथा प्रजनन में लाभदायक होती हैं, अगली पीढ़ी (संतति) में हस्तान्तरित (passed on) हो जाती हैं। परंतु जिनसे कोई लाभ नहीं होता वे लक्षण संतति में नहीं जाते।
    उदाहरण-जितने अधिक कौए होंगे उतने अधिक लाल शृंग उनके शिकार बनेंगे तथा समष्टि में हरे भृगों की संख्या बढ़ती जाएगी, क्योंकि हरी पत्तियों की झाड़ियों में हरे भुंग को कौए नहीं देख पाते हैं।
  2. आनुवंशिक विचलन (Genetic drift)-कभी-कभी आकस्मिक दुर्घटना के कारण किसी समष्टि के ज्यादातर जीव मर जाते हैं ऐसी स्थिति में जीन सीमित रह जाते हैं इसके कारण उस समष्टि का रूप बदल जाता है तथा उनकी संतति में केवल जीवित सदस्यों के लक्षण ही दिखाई देते हैं। इसे आनुवंशिक विचलन (Genetic drift) कहा जाता है।
    जैसे-महामारी तथा परभक्षण (Predation) आदि की स्थिति में।
  3. विभिन्नताएँ एवं अनुकूलन-विभिन्नताएँ एवं अनुकूलता पर्यावरण में जीवों की उत्तरजीविता कायम रखने में सहायक होते हैं।

8.एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यतः अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते। क्यों?

केवल वे ही लक्षण वंशानुगत होते हैं जो जनन कोशिकाओं के DNA द्वारा अगली पीढ़ी में जाते हैं। उपार्जित लक्षण का जनन कोशिका के जीन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, कायिक ऊतकों में होने वाले परिवर्तन, लैंगिक कोशिकाओं के DNA में नहीं जा सकते।

9.बाघों की संख्या में कमी आनुवंशिकता की दृष्टि से चिंता का विषय क्यों है?

बाघों की संख्या में कमी आनुवंशिकता की दृष्टि से इसलिए चिंता का विषय है, क्योंकि यदि बाघ विलुप्त (extinct) हो गए, तो इसके स्पीशीज़ का जीन भी हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा तथा बाघों के स्पीशीज़ को पुनः वापस ला पाना असंभव होगा। हमारी अगली पीढी बाघ को नहीं देख पाएगी।

10.वे कौन-से कारक हैं, जो नयी स्पीशीज़ के उद्भवे में सहायक हैं?

नयी स्पीशीज़ के उद्भव में सहायक कारक निम्न हैं
(a) जीन प्रवाह (genetic flow) का स्तर कम होना।
(b) प्राकृतिक चयन (वरण) (Natural selection)
(c) विभिन्नताएँ।
(d) भौगोलिक पृथक्करण के कारण जनन पृथक्करण (Reproductive isolation)
(e) आनुवंशिक विचलन (genetic drift)

11.क्या भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीज़ के पौधों के जाति-उद्भव का प्रमुख कारण हो सकता है? क्यों या क्यों नहीं?

नहीं, भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीज़ के पौधों के जाति-उद्भव का प्रमुख कारण नहीं हो सकता, क्योंकि ये पौधे दूसरे पौधों पर आगे जनन प्रक्रिया के लिए निर्भर नहीं करते हैं।

12.क्या भौगोलिक पृथक्करण अलैंगिक जनन वाले जीवों के जाति उद्भव का प्रमुख कारक हो सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं?

नहीं, क्योंकि अलैंगिक जनन करने वाले जीवों को जनन के लिए किसी अन्य जीव की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

13.उन अभिलक्षणों का एक उदाहरण दीजिए जिनका हम दो स्पीशीज़ के विकासीय संबंध निर्धारण के लिए करते हैं?

समजात अंगों की उपस्थिति से हमें दो स्पीशीज़ के सदस्यों में विकासीय संबंध स्थापित करने में सहायता मिलती है। उदाहरण- पक्षियों, सरीसृप एवं जल-स्थलचर (Amphibians) की तरह स्तरधारियों के चार पैर (पाद) होते हैं। सभी में पैरों की आधारभूत संरचना एक समान होती है, परंतु कार्यों में भिन्न होते हैं। ऐसे अंग समजात अंग कहलाते हैं। ये अभिलक्षण ईंगित करते हैं कि वे समान जनक से वंशानुगत हुए हैं।

14.क्या एक तितली और चमगादड़ के पंखों को समजात अंग कहा जा सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं?

नहीं, वे अंग जिनकी आधारभूत संरचना समान परंतु कार्य भिन्न-भिन्न होते हैं, समजात अंग कहलाते हैं। लेकिन तितली और चमगादड़ के पंखों की आधारभूत संरचना भिन्न हैं, परंतु ये कार्य में एक समान हैं। इसलिए इन्हें समरूप अंग कहते हैं।

15.जीवाश्म क्या है? वे जैव-विकास प्रक्रम के विषय में क्या दर्शाते हैं।

कभी-कभी जीव अथवा उसके कुछ भाग भूपटल की कठोर सतहों के बीच दब जाती हैं, जिसके कारण उसका अपघटन नहीं होता है तथा वे परिरक्षित (Preserved) रूप में मिलती हैं, जिन्हें जीवाश्म कहते हैं। जीवाश्म जैव-विकास के लिए एक प्रमाण (evidence) प्रदान करता है, जो इसे समझने में सहायता करता है। उदाहरण के लिए-आर्कियोप्टेरिक्स (Archaeopteryx) एक पक्षी जीवाश्म जो पक्षी की तरह दिखते हैं, परंतु इसमें अनेक ऐसे लक्षण हैं जो सरीसृप में पाए जाते हैं। इस तरह यह पक्षी तथा सरीसृप के बीच एक जैव-विकास संबंध (evolutionary relation) की कड़ी स्थापित करता है तथा प्रमाणित करते हैं कि पक्षी बहुत निकटता से सरीसृप से संबंधित हैं।

16.क्या कारण है कि आकृति, आकार, रंग-रूप में इतने भिन्न दिखाई पड़ने वाले मानव एक ही स्पीशीज़ के सदस्य हैं?

आधुनिक मानव स्पीशीज़ ‘होमो सेपियंस” का उद्भव अफ्रीका में हुआ था। कुछ हजार वर्ष पूर्व हमारे पूर्वजों ने अफ्रीका छोड़ दिया, जबकि कुछ वहीं रह गए। वे अलग-अलग देश के वातावरण में फैल गए जिसके कारण उनका आकार, आकृति रंग-रूप भिन्न हो गए। इन विविधताओं के बावजूद वे परस्पर सफल लैंगिक जनन (interbreeding) करने में समर्थ हैं तथा बच्चे पैदा कर सकते हैं, जिसके आधार पर उन्हें एक स्पीशीज़ के सदस्य कहा जाता है।

17.विकास के आधार पर क्या आप बता सकते हैं कि जीवाणु, मकड़ी मछली तथा चिम्पैंजी में किसका शारीरिक अभिकल्प उत्तम है? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।

जैव विकास में यह प्रवृत्ति दिखाई देती है कि समय के साथ-साथ उसके शारीरिक अभिकल्प की जटिलता में वृद्धि होती है। इस आधार पर चिम्पैंजी का शारीरिक अभिकल्प उत्तम प्रतीत होता है, परंतु प्रतिकूल एवं अत्यंत कठिन परिस्थितियों में उत्तरजीविता की दृष्टि से सरलतम अभिकल्प वाला एक समूह-जीवाणु-विषम पर्यावरण जैसे ऊष्ण झरने, गहरे समुद्र के गर्म स्रोत तथा अंटार्कटिका की बर्फ में भी पाए जाते हैं। अतः यह आवश्यक नहीं कि जटिल शारीरिक अभिकल्प वाले जीव जैवविकासीय दृष्टि से सरल शारीरिक अभिकल्प वाले जीवों से उत्तम हों। क्योंकि ये कठिन परिस्थितियों में भी जीवित रह पाते हैं।

18.एक अध्ययन से पता चला कि हल्के रंग की आँखों वाले बच्चों के जनक (माता-पिता) की आँखें भी हल्के रंग की होती हैं। इसके आधार पर क्या हम कह सकते हैं कि आँखों के हल्के रंग को लक्षण प्रभावी है अथवा अप्रभावी? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।

नहीं, यह बताना संभव नहीं है कि आँखों के हल्के रंग का लक्षण प्रभावी है अथवा अप्रभावी जब तक कि दोनों प्रकार के विकल्पों का पता न हो। ऐसा भी संभव है कि जनक (माता-पिता) में दोनों ही विकल्प हल्के रंग की आँखों के हों, क्योंकि लक्षण की प्रतिकृति दोनों जनकों (माता-पिता) से वंशानुगत होती हैं, अप्रभावी तभी होंगे, जब दोनों से प्राप्त जीन अप्रभावी हों। अतः हम केवल अनुमान लगा सकते हैं।

19.जैव-विकास तथा वर्गीकरण का अध्ययन आपस में किस प्रकार परस्पर संबंधित है।

विभिन्न जीवों के बीच समानताओं एवं विभिन्नताओं के आधार पर ही उनका वर्गीकरण करते हैं। दो स्पीशीज़ के बीच जितने अधिक अभिलक्षण समान होंगे उनका संबंध भी उतना ही निकट का होगा। जितनी अधिक समानताएँ होंगी, उनका उद्भव भी निकट अतीत में समान पूर्वजों से हुआ होगा।

20.समजात अंग एवं समरूप अंगों को उदाहरण देकर समझाइए।

समजात अंग (Homologous organs)-विभिन्न जीवों में ऐसे अंग जिनकी समान आधारभूत संरचना होती है, परंतु कार्य भिन्न-भिन्न होते हैं, समजात अंग कहलाते हैं। जैसे- मेंढक, पक्षी एवं मनुष्य के अग्रपादों में अस्थियों की समान आधारभूत संरचना होती है, परंतु इनके कार्य भिन्न-भिन्न होते हैं। समरूप अंग (Analogous organs)-ऐसे अंग जो एक-समान कार्य संपन्न करते हैं, परंतु संरचनात्मक रूप से भिन्न होते हैं, उन्हें समरूप अंग कहते हैं। उदाहरण के लिए, कीट के पंख तथा पक्षी के पंख।

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21.कुत्ते की खाल का प्रभावी रंग ज्ञात करने के उद्देश्य से एक प्रोजेक्ट बनाइए।

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प्रभावी रंग- सफ़ेद, अप्रभावी रंग- काला

22.विकासीय संबंध स्थापित करने में जीवाश्म का क्या महत्त्व है?

विकासीय संबंध स्थापित करने में जीवाश्मे के निम्नलिखित महत्त्व हैं

  1. पृथ्वी की सतह के निकट वाले जीवाश्म गहरे स्तर पर पाए जाने वाले जीवाश्मों की अपेक्षा अधिक नए हैं। इससे हमें यह ज्ञात होता है कि किस जीव का उद्भव पहले तथा किसका बाद में हुआ।
  2. “फॉसिल डेटिंग’ विधि से भी जीवाश्म का समय निर्धारण किया जाता है तथा जीव के समय-काल का पता चलता है।
  3. जीवाश्म-आर्कियोप्टेरिक्स (Archaeopteryx) दो भिन्न प्रकार के स्पीशीज़ के बीच एक कड़ी (link) दर्शाते हैं।
  4. जीवाश्मों से जीवों और उनके पूर्वजों के बीच विकासीय विशेषकों को स्थापित करने में सहायता मिलती है।

23.किन प्रमाणों के आधार पर हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है?

स्टेनले एल० मिलर एवं हेराल्ड सी० उरे द्वारा 1953 में किए गए प्रयोगों के आधार पर इसकी पुष्टि की जा सकती है। उन्होंने कृत्रिम रूप से ऐसे वातावरण को निर्मित किया, जो संभवतः प्राथमिक/प्राचीन वातावरण के समान था (इसमें अमोनिया, मीथेन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड के अणु थे, लेकिन ऑक्सीजन के नहीं), पात्र में जल भी था। इसे 100° सेल्सियस से कुछ कम ताप पर रखा गया। गैसों के मिश्रण में चिनगारियाँ उत्पन्न की गईं; जैसे- आकाश में बिजली एक सप्ताह के बाद, 15 प्रतिशत कार्बन (मीथेन से) सरल कार्बनिक यौगिकों में परिवर्तित हो गए। इनमें एमीनों अम्ल भी संश्लेषित हुए जिनसे प्रोटीन के अणुओं का निर्माण होता है। हम जानते हैं कि प्रोटीन जीवन का आधार है। अत: हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों (अकार्बनिक पदार्थों) से हुई है।

24.अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ अधिक स्थायी होती हैं। व्याख्या कीजिए यह लैंगिक प्रजनन करने वाले जीवों में विकास को किस प्रकार प्रभावित करता है?

अलैंगिक जनन में केवल एक ही जनक से DNA प्रतिकृति होती है, जिसके कारण उनमें बहुत अधिक समानताएँ होती हैं; जैस- गन्ने के पौधे। इनमें थोड़ी बहुत विभिन्नताएँ प्रतिकृति बनने के दौरान त्रुटियों के कारण होती है, जो बहुत न्यून (कम) होती हैं। परंतु लैंगिक जश्न में दो जनक के युग्मकों से प्राप्त हुए DNA का संलयन होता है, जिसके कारण संतति में बहुत अधिक विभिन्नताएँ आ जाती हैं। विभिन्नताओं का प्राकृतिक चयन (natural selection) होता है। अनुकूल विभिन्नताएँ पीढ़ी-दर-पीढी संचित होती रहती हैं तथा एक नई प्रजाति के रूप में विकसित होती हैं। स्पष्टतः ये विभिन्नताएँ वंशानुगत होती हैं तथा जैव विकास को प्रभावित करती हैं।

25.संतति में नर एवं मादा जनकों द्वारा आनुवंशिक योगदान में बराबर की भागीदारी किस प्रकार सुनिश्चित की जाती है?

लैंगिक जनन क्रिया में क्रोमोसोम (गुणसूत्र) अर्धसूत्री विभाजन द्वारा दो भागों में बँटे जाते हैं और जब निषेचन क्रिया होती है, तो युग्मनज में आधे गुणसूत्र पिता से और आधे गुणसूत्र माता से आकर आपस में संयोजित हो जाते हैं। अर्थात् नर से (23 गुणसूत्र) तथा मादा से (23 गुणसूत्र) मिलकर संतति में 46 गुणसूत्र होते हैं तथा बराबरी की भागीदारी होती है। यही कारण है कि प्रत्येक पीढी के लक्षणों में विभिन्न्ताएँ आती रहती हैं।

26.केवल वे विभिन्नताएँ जो किसी एकल जीव (व्यष्टि) के लिए उपयोगी होती हैं, समष्टि में अपना अस्तित्व बनाए रखती हैं। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? क्यों एवं क्यों नहीं?

हाँ, वे विभिन्नताएँ जो किसी एकल जीव के लिए उपयोगी होती हैं, समष्टि में अपना अस्तित्व बनाए रखती हैं। उत्तरजीविता में लाभ वाली विभिन्नताओं का ही प्राकृतिक चयन होता है। इसे एक उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है उदाहरण के लिए, प्रारंभ में केवल एक हरे भुंग थे। कौए हरी पत्तियों में हरे भुंग को नहीं देख पाते हैं। अतः इन्हें नहीं खा पाते हैं, जिससे शृंगों की समष्टि में लाल भूगों की समष्टि की अपेक्षा हरे भूगों की संख्या बढ़ती जाती है। अर्थात्, लाल भृग तथा नीले भृग की तुलना में हरे भुंग के लिए उत्तरजीविता (survival) के लिए लाभ है।

 

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