मेंडल ने पाया कि शुद्ध लंबे मटर के पौधे तथा शुद्ध बौने मटर के पौधे के बीच संकरण से F1 पीढ़ी में प्राप्त सभी पौधे लंबे थे।
I.
अर्थात्, दो लक्षणों में से केवल एक पैतृक जनकीय लक्षण ही दिखाई देता है।
इसे प्रभावी लक्षण (Dominant traits) कहते हैं।
द्वितीय चरण में उन्होंने F1 (T t) पीढ़ी से प्राप्त पौधों में स्वपरागण करवाया तो पाया कि लंबे तथा बौने पौधे का अनुपात 3:1 था। अर्थात् F2 पीढ़ी में भी लंबे पौधे प्रभावी थे, परंतु बौने पौधे अप्रभावी लक्षण (recessive traits) वाले भी थे।
II.
अर्थात् मेंडल के प्रयोग से स्पष्ट हो जाता है कि लक्षण प्रभावी या अप्रभावी हो सकते हैं।
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