पीतल एवं ताँबे के बर्तनों में दही एवं खट्टे पदार्थ इसलिए नहीं रखने चाहिए क्योंकि दही में मौजूद लैक्टिक अम्ल होते है | जो पीतल एवं ताँबे के बर्तनों से अभिक्रिया करके हानिकारक ( विषैला ) यौगिक बनाते है | जिसके कारणवश ये खाने लायक नहीं रह जाते है |
धातु के साथ अम्ल कि अभिक्रिया होने पर सामान्यतः हाइड्रोजन गैस निकलती है |
\(2NaOH{\text{ }} + {\text{ }}Zn{\text{ }}\;{\text{ }} = {\text{ }}\;{\text{ }}\;N{a_2}Zn{O_2}\; + {\text{ }}{H_{2\;}}\)
जाँच – जलती हुई मोमबती को परखनली के मुंह के पास ले जाने पर फट – फट अर्थात् पॉप ध्वनि उत्पन्न होती है |
धातु के यौगिक ‘A’CaCO3 ( कैल्सियम कार्बौनेट ) है |
\(CaC{O_{3{\rm{ }}\;}}\left( s \right){\rm{ }} + {\rm{ }}2HCl{\rm{ }}\;\left( {aq} \right){\rm{ }}\;{\rm{ }}\; = {\rm{ }}\;{\rm{ }}\;{\rm{ }}CaC{l_{2\;}}\;\left( {aq} \right){\rm{ }} + {\rm{ }}C{O_2}\;\left( g \right){\rm{ }} + {\rm{ }}{H_2}O\left( l \right)\)
HCl, HNO3 आदि जलीय विलयन में H+आयन बनता है जिसके कारण ये अम्लीय अभिलक्षण को प्रदर्शित करते हैं, जबकि ऐल्कोहॉल एवं ग्लूकोज़ जैसे यौगिकों के विलयनों में H+आयन नहीं बनता है जिसके कारण ये अम्लीयता के अभिलक्षण नहीं प्रदर्शित होते हैं |
अम्ल का जलीय विलयन विद्युत का चालन करता है क्योंकि अम्ल जलीय विलयन में H+आयन उत्पन्न करता है जिसके कारण ये विद्युत् धारा का प्रवाह होता है |
शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस शुष्क लिटमस पत्र के रंग को नहीं बदलती है क्योंकि जल कि अनुपस्थिति में HCl से H+आयन उत्पन्न नहीं हो पाता है | सिर्फ जल कि उपस्थिति में HCl से H+आयन उत्पन्न होता है |
अम्ल को तनुकृत करते समय यह अनुशंसित करते हैं कि अम्ल को जल में मिलाना चाहिए,न कि जल को अम्ल क्योंकि जल को सांद्र अम्ल में मिलने से वह तीव्र अभिक्रिया कर विस्फोट करते है | इसके कई दुष्परिणाम हो सकते है | इसलिए हमें कभी भी जल को अम्ल में नहीं मिलाना चाहिए बल्कि हमें अम्ल को जल में मिलाना चाहिए|
अम्ल के विलयन को तनुकृत करते समय हाइड्रोनियम आयन की सांद्रता में \(({H_3}{O^ + }/O{H^--})\) प्रति इकाई आयतन में कमी हो जाती है ।
हाइड्रोक्साइड आयन (OH–) की सांद्रता बढ़ जाती है |
A विलयन : PH = 6 , PH < 7
B विलयन : PH = 8 , PH > 7
A विलयन में H+ आयन की सांद्रता अधिक है |
जैसे – जैसे हाइड्रोजन आयन H+ (aq) आयन कि सांद्रता बढती है विलयन और अधिक अम्ल होता है |
कोई किसान खेत की मृदा की अम्लीय परिस्थिति में बिना बुझा हुआ चूना (कैल्सियम ऑक्साइड), बुझा हुआ चूना (कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड) या चॉक (कैल्सियम कार्बोनेट) का उपयोग मिट्टी को उदासीन बनाने के लिए करेगा |
CaOCl2 यौगिक का प्रचलित नाम विरंजक चूर्ण है |
शुष्क बुझा हुआ चूना |
कठोर जल को मृदु करने के लिए सोडियम कार्बौनेट जिसे धोने का सोडा भी कहते है |
सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट गर्म करने पर सोडियम कार्बोनेट कार्बन डाइऑक्साइड और जल में विघटित हो जाएगा।
2NaHCO3 → NO2CO3 + CO2 + H2O
(सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट) (सोडियम कार्बोनेट) (कार्बन डाइऑक्साइड) (जल)
CaSO4 . ½H2O + 1½ H2O = CaSO4 . 2 H2O
ग्लूकोज़, ऐल्कोहॉल, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, सल्फ्रयूरिक अम्ल आदि का विलयन लीजिए। एक कॉर्क पर दो कीलें लगाकर कॉर्क को 100 mL के बीकर में रख दीजिए। अब किलों को 6 वोल्ट की एक बैटरी के दोनों टर्मिनलो के साथ एक बल्ब तथा स्विच के माध्यम से जोड़ दीजिए | अब बीकर में थोड़ा तनु HCl डालकर विद्युत धारा प्रवाहित कीजिए| इसी क्रिया को तनु सल्फ्रयूरिक अम्ल के साथ दोहराइए। एल्कोहोल एवं ग्लूकोज जैसे यौगिको में भी हाइड्रोजन होते है लेकिन इनका वर्गीकरण अम्ल कि तरह नहीं होता है क्योंकि ये H+ आयन नहीं बनाता है |
आसवित जल शुद्ध होते है | इसलिए इनमे विधुत का चालन नहीं होता है क्योकि विधुत के चालन के लिए आयनों की आवश्यकता होती है | जबकि वर्षा जल में विधुत का चालन होता है क्योकि इसमें थोड़ी मात्रा में अम्ल विद्यमान रहता है | जोंकी वायु में उपस्थित सल्फर – डाइआक्साइड और नाइट्रोजन डाइआक्साइड के साथ मिलकर इसे अम्लीय बना देते है |अम्लीय होने के कारण ये H+ आयन उत्पन्न करते है जिसके कारण विधुत का चालन होता है |
जल की अनुपस्थिति में अम्ल का व्यवहार अम्लीय नहीं होता है क्योंकि जल की उपस्थिति में ही H+आयन अम्ल से अलग होते है |
pH के मानो को हाइड्रोजन आयन की सांद्रता के आरोही क्रम में व्यवस्थित कीजिए |
pH के मानो को हाइड्रोजन आयन की सांद्रता के आरोही क्रम में व्यवस्थित कीजिए |
उत्तर :
विलयन |
pH का मान |
सार्वत्रिक सूचक से जांच |
A |
4 |
दुर्बल अम्लीय है |
B |
1 |
प्रबल अम्लीय है |
C |
11 |
प्रबल क्षारीय है |
D |
7 |
उदासीन है |
E |
9 |
दुर्बल क्षारीय है |
H+ आयन की सांद्रता जैसे – जैसे बढती है pH का मान उसी प्रकार घटता है |
C < E< D< A < B
परखनली ‘A’ में अधिक बुदबुदाहट होगी क्योंकि हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एसेटिक अम्ल से अधिक प्रबल अम्ल है |
ताजे दूध के PH का मान 6 होता है | दही बनने की प्रक्रिया में लैक्टिक अम्ल का निर्माण होता है | इसलिए दही के PH का मान 6 से कम होगा |
(a) ताजा दूध के PH का मान 6 से बदल कर थोडा क्षारीय इसलिए बना देता है क्योंकि दूध में उपस्थित लैक्टोबेसिलस जीवाणु दूध को अम्लीय बना देता है | दूध में इसलिए बेकिंग सोडा मिलाया जाता है ताकि दूध लंबे समय क्षारीय बना रहे जिससे यह लम्बे समय तक बना रहे | (b) इस दूध को दही बनने में अधिक समय इसलिए लगता है क्योकि इस प्रक्रिया में बना लैक्टिक अम्ल ताजे दूध में मिला क्षारक (बेकिंग सोडा) को पहले उदासीन करता है फिर इसे अम्ल में बदल देता है जिसके कारण दही बनता है |
प्लास्टर ऑफ़ पेरिस को आर्द्र – रोधी बर्तन में इसलिए रखा जाना चाहिए क्योंकि यह आर्द्रता की उपस्थिति में जल को अवशोषित कर ठोस पदार्थ जिप्सम बनाती है | जिसके कारण इसमें जल के साथ मिलकर जमने का गुण नष्ट हो जाता है |
वह अभिक्रिया जिसमे क्षारक एवं अम्ल अभिक्रिया कर जल एवं लवण का निर्माण करते है इस अभिक्रिया को उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते है |इस अभिक्रिया में अम्ल तथा क्षारक एक दुसरे के प्रभाव को खत्म कर या उदासीन बना देते है|
धोने का सोडा के दो प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं:
(i) इसका उपयोग काँच, साबुन एवं कागज उद्योगों में होता है|
(ii) जल की स्थायी कठोरता को हटाने के लिए इसका उपयोग होता है|
बेकिंग सोडा के दो उपयोग निम्नलिखित हैं:
(i) बेकिंग पाउडर बनाने में, जो बेकिंग सोडा (सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट) एवं टार्टरिक अम्ल जैसा एक मंद खाद्य अम्ल का मिश्रण है| जब बेकिंग पाउडर को गर्म किया जाता है या जल में मिलाया जाता है तो इस अभिक्रिया से उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड के कारण यह पावरोटी या केक को स्पंजी बना देता है|
(ii) इसका उपयोग सोडा-अम्ल अग्निशामक में भी किया जाता है|