इस पद्धति की पेय जल व्यवस्था (पर्वतीय क्षेत्रों में, मैदानी क्षेत्र अथवा पठार क्षेत्र) से तुलना कीजिए।
पर्वतीय क्षेत्रों में जल व्यवस्था मैदानी क्षेत्रों से बिलकुल भिन्न होती है। उदाहरण के लिए, हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में नहर सिंचाई की स्थानीय प्रणाली (व्यवस्था) का विकास हुआ जिसे कुल्ह कहा जाता है। झरनों से बहने वाले जल को मानव-निर्मित छोटी-छोटी नालियों से पहाड़ी पर स्थित निचले गाँवों तक ले जाया जाता है। कूल्हों में बहने वाले पानी का प्रबंधन गाँवों के निवासियों की आपसी सहमति से किया जाता है। इस व्यवस्था के अंतर्गत कृषि के मौसम में जल सबसे दूरस्थ गाँव को दिया जाता है। फिर उत्तरोत्तर ऊँचाई पर स्थित गाँव उस जल का उपयोग करते हैं। परंतु समतल (मैदानी) भूभाग में जल संग्रहण चेक डैम’ तलाबों, ताल तथा बंधिस में किया जाता है।





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