राष्ट्रीय आय का मतलब किसी देश में एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं के कुल मूल्य से लगाया जाता है। दूसरे शब्दों में वर्ष भर में किसी देश में अर्जित आय की कुल मात्रा को राष्ट्रीय आय (National Income) कहा जाता है।
राष्ट्रीय आय को स्पष्ट करने के लिए कुछ प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों की परिभाषा निम्नलिखित है
प्रो. अलफ्रेड मार्शल के अनुसार “किसी देश की श्रम एवं पूंजी का उसके प्राकृतिक साधनों पर प्रयोग करने से प्रतिवर्ष भौतिक तथा अभौतिक वस्तुओं पर विभिन्न प्रकार की सेवाओं का जो शुद्ध समूह उत्पन्न होता है। उसे राष्ट्रीय आय कहते हैं। प्रो. पीगू के शब्दों में “राष्ट्रीय लाभांश किसी समाज की वस्तुनिष्ठ अथवा भौतिक आय वह भाग है, जिसमें विदेशों से प्राप्त आय भी सम्मिलित होती है और जिसकी मुद्रा के रूप में माप हो सकती है।”
एक अन्य प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रो. फिशर ने राष्ट्रीय आय की परिभाषा देते हुए कहा है कि “वास्तविक राष्ट्रीय आय वार्षिक शुद्ध उत्पादन का वह भाग है, जिसका उस वर्ष के अन्तर्गत प्रत्यक्ष रूप से उपयोग किया जाता है।”
राष्ट्रीय आय की गणना की प्रमुख विधि-राष्ट्रीय आय की गणना अनेक प्रकार से की जाती है। चूंकि राष्ट्र के व्यक्तियों की आय उत्पादन के माध्यम से अथवा मौद्रिक आयं के माध्यम से प्राप्त होती है। इसलिए इसकी गणना जब उत्पादन के योग के द्वारा किया जाता है तो उसे उत्पादन गणना विधि कहते हैं। जब राष्ट्रों के व्यक्तियों की आय के आधार पर राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है तो उस गणना विधि को आय गणना विधि कहा जाता है। प्राप्त की गई आय व्यक्ति के अपने उपभोग के लिए व्यय के माप से किया जाता है, राष्ट्रीय आय की मापने की इस क्रिया को व्यय गणना विधि कहते हैं। हम देखते हैं कि उत्पादित की हुई वस्तुओं का मूल्य विभिन्न परिस्थितियों में व्यक्तियों के द्वारा किए गए प्रयोग से बढ़ जाता है, ऐसी स्थिति में राष्ट्रीय ‘आय की गणना को मूल्य योग विधि कहते हैं। अंत में व्यावहारिक संरचना के आधार पर राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है। व्यावसायिक आधार पर की गई गणना को व्यावसायिक गणना विधि कहते हैं।
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