सुखाड़ के कारणों एवं इनके बचाव के तरीकों का वर्णन करें।


Yख्य रूप से वर्षा की अत्यधिक कमी को सुखाड़ कहा जाता है। इससे बचाव के लिए निम्नलिखित कारण बताए गए हैं- . .
सुखाड़ के बचाव के लिए दो प्रकार की योजनाएं आवश्यक हैं-दीर्घकालीन एवं लघुकालीन। दीर्घकालीन योजना के अंतर्गत नहर, तालाब, कुंआ, पइन, आहिर के विकास की जरूरत है। लघुकालीन योजना में भूमिगत जल का संग्रहण, वर्षा जल का संग्रहण आवश्यक है। ऊपर वर्णित दीर्घकालीन योजना द्वारा जल का संग्रह कर सुखाड़ से बचा जा सकता है। लघुकालीन योजना में बोरिंग के माध्यम से जल निकाला जाता है। ड्रिप सिंचाई एवं छिड़काव सिंचाई (Sprinklen Irrigation) के द्वारा भी भूमिगत जल का उपयोग पारिस्थितिकी के अनुरूप किया जाता है। वर्षा का संग्रहण पाइन द्वारा एक बड़े टंकी में किया जाता है। भारत के कई राज्यों में इसका संग्रह कुंड या तालाब बनाकर किया जाता है। वर्षा जल संग्रहण तकनीक सुखाड़ के दिनों में वरदान साबित हो सकता है।