कोयला एवं लोहा दोनों को औद्योगीकरण प्रक्रिया की रीढ़ माने जाते हैं क्योंकि कोयला ईंधन की जरूरत को पूरा करता है और लोहा मशीनों के निर्माण में काम आता है। और कोई भी कारखाना बिना इंधन और मशीन के नहीं चल सकता। अतः कोयला एवं लोहा उद्योग
औद्योगीकरण की गति को तीव्रता प्रदान करता है।