प्रतिवर्ती क्रिया मस्तिष्कके मेरुरज्जू हिस्से द्वारा नियंत्रित की जाती है पतन्तु टहलना मस्तिष्क द्वारा सोची समझी क्रिया है | प्रतिवर्ती क्रिया में बहुत कम एमी क्गता है परन्तु टहलना में सुचना को पेशियों तक पहुँचने में काफी समय लगता है |
अंतर्ग्रथन दो तंत्रिका कोशिकाओं के बीच में छोटा खाली स्थान होता है | विद्युतीय तरंगो के रूप में आने वाला तंत्रिका आवेग एक रसायन को स्त्रवित कृत है जो खाली स्थान की दरार में आ जाता है इसी प्रकार अंतर्ग्रथन को पार कर ये रसायन अगली तंत्रिका कोशिका में पहुँच जाते है |
पश्च मस्तिष्क का अनुमस्तिष्क |
विभिन्नअंगो में सुचना पाने के लिए मस्तिष्कमें कुछ केन्द्र होते है | जो अग्रमस्तिष्क में उपस्थित होते है | गंध के लिए भित्तीय पालि होती है |
प्रतिवर्ती क्रिया मस्तिष्कके नियंत्रण में नहीं होती है | स्त्रवित प्रतिवर्ती क्रियाएँ मेरुरज्जू द्वारा नियंत्रित की जाती है | मस्तिष्क प्रतिवर्ती क्रिया में होने वाले कार्य की सुचना अपने अंदर एकत्रित कर लेता है |
पादप अपने विभिन्न भागों से कुछ महत्वपूर्ण रसायन स्त्रवित करते है जो पादपो की वृद्धि तथा अन्य क्रियाओं को नियंत्रित करते है उन्हें पादप हॉर्मोन कहते है |
छुई-मुई पादप की पत्तियों की गति, प्रकाश की ओर प्ररोह की गति से भिन्न है कयोंकि प्रकाश व प्ररोह गति अनुवर्तन गति होती है जो ऑकिस्न हॉर्मोन द्वारा निंयत्रित होती है | परन्तु छुई-मुई पादप की पत्तियों छूने के कारण फैलतीव सिकुड़ती है जो प्रकाश से नियंत्रित नहीं होती है |
ऑकिस्न हॉर्मोन |
प्रतान एक संवेदीशील पौधाहै इसके किसी शेयर के सम्पर्क में आते ही जल तथा ऑक्सिन विपरीत दिशा में गतिशील हो जाते है | इस प्रकार कोशिकाएँ लंबी व तन्य हो जाती है और प्रतान मुड़कर आधार से लिपट जाता है |
जलानुवर्तन दर्शाने के लिए प्रयोग – एक पोधा ले उसे गमले में उगाए उस की मिट्टी एक ओर से गीली तथा दूसरी ओर से सुखी होनी चाहिए | कुछ दिनों बाद उसका परिक्षण करने पर हम पाएगे की पौध की जड़े जलीय मिट्टी की ओर गतिशील होती है की इस अभिकल्पना से हम पाते है की जडो में घनात्मक जलानुवर्तन होता है |
जन्तुओं में विशेष ग्रथियँ कुछ हॉर्मोन स्त्रवित करती है | ये हॉर्मोन ही रासायनिक समन्वय करते है |
आयोडीन युक्त नमक के उपयोग की सलाह इसलिए दी जाती है कियोंकि शरीर में कार्बोहाइड्रेट ,वसा तथा प्रोटीन के अपचन को थाइरॉइड नियंत्रित करती है | यह ग्रंथि थाइरॉक्सिन नामक हॉर्मोन स्त्रावित करती है इस ग्रंथि के लिए आयोडीन की आवश्कता होती है आयोडीन की कमी से घेंघा रोग हो जाता है |
एड्रीनलीन क रक्त में स्त्रवित होने से ह्रदय तीव्रता से धडकता है , हमारी मांसपेशियों की बढ़ जाती है तथा श्वसन दर भी बढ़ जाता है |
रक्त में बढ़ी हुई शर्करा के निंयत्रण हेतु इंसुलिन की पड़ती है | यह हॉर्मोन इसे नियंत्रित करता है तथा यह अग्नाशय ग्रंथि द्वारा स्त्रवित होता है | मुधमेह के रोगियों के इसका स्त्राव कम होता है अत: इंसुलिन का इंजेक्शन रक्त में शर्करा को नियंत्रित कर देता है |