हिन्दू मिथोलॉजी में, ब्रह्मांड के बाहर क्या है इस प्रश्न का स्पष्ट उत्तर हमें विज्ञान के पास अभी तक नहीं मिला है, क्योंकि हम अभी तक अपने ब्रह्मांड के रहस्यों को पूरी तरह से समझ नहीं पा रहे हैं। वैज्ञानिक तरीके से कहा जा रहा है कि हमारा ब्रह्मांड अनंत है और इसका कोई अंत नहीं है। इसलिए, ब्रह्मांड के बाहर क्या है, इसका अनुमान लगाना काफी मुश्किल है। हालांकि, इससे जुड़ा एक अवधारणा है जिसे "मल्टीवर्स" (Multiverse) कहा जाता है और यह विज्ञान में भी प्रसिद्ध है।
मल्टीवर्स शब्द से लगता है कि यह एक आधुनिक विज्ञान का ख्याल है, लेकिन इस अवधारणा का ज़िक्र हिन्दू मिथोलॉजी में भी है। महर्षि वाल्मीकि के 'योग वशिष्ठ' और महारामायण को आद्वैत वेदांत के महत्वपूर्ण ग्रंथों में माना जाता है, और इसमें मल्टीवर्स और आधुनिक समय यात्रा की अवधारणा की जाती है।
मल्टीवर्स की अवधारणा को समझने से पहले, हमें इसकी परिभाषा समझने में मदद करेगा। मल्टीवर्स थियरी के अनुसार, हमारे ब्रह्मांड के बाहर भी ऐसे ही अनगिनत ब्रह्मांड हैं, जिनमें हमारे प्रतिरूप होते हैं। इन ब्रह्मांडों में किसी भी क्रिया के संभावित परिणाम होते हैं, और इसके आधार पर ब्रह्मांड को विभाजित किया जाता है।
उदाहरण के तौर पर, आप 12वीं कक्षा के बाद मेडिकल की पढ़ाई करते हैं और डॉक्टर बन जाते हैं। लेकिन, दूसरे ब्रह्मांड में आपका प्रतिरूप कोई दूसरा काम कर रहा है और स्कूल टीचर बन जाता है। इस प्रकार, हर किसी क्रिया के अनगिनत संभावित परिणाम हो सकते हैं, और मल्टीवर्स का यह कार्यक्रम चलता है।
अब, 'योग वशिष्ठ' के बारे में चर्चा करते हैं। यह ग्रंथ महर्षि वशिष्ठ और भगवान राम के बीच के संवाद पर आधारित है। ऋषि वाल्मीकि ने इसे लिखा है, और इसमें मल्टीवर्स और आधुनिक समय यात्रा की अवधारणा का उल्लेख होता है।
'योग वशिष्ठ' के अनुसार, भगवान
वशिष्ठ ने राम को अनगिनत ब्रह्मांडों के बारे में बताया था, और उन्होंने समय यात्रा की अवधारणा को प्रस्तुत किया था। इसमें यह कहा जाता है कि ब्रह्मांड में अनगिनत प्रतिरूप होते हैं, और यह सभी प्रतिरूप एक ही समय में अपने अपने जीवन को जी रहे हैं। यदि एक प्रतिरूप के जीवन में कुछ होता है, तो यह दूसरे प्रतिरूप के जीवन को प्रभावित नहीं करता।
इस तरह से, 'योग वशिष्ठ' में मल्टीवर्स और समय यात्रा की अवधारणा का पर्याप्त उल्लेख है, जो हिन्दू मिथोलॉजी के भाग के रूप में मिलता है। यह एक दर्शनिक और आध्यात्मिक ग्रंथ है जिसमें जीवन, मृत्यु, और ब्रह्मांड के रहस्यों का अध्ययन किया जाता है।
कृपया ध्यान दें कि यह ग्रंथ आध्यात्मिक है और इसका वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं होता है, इसलिए इसे वैज्ञानिक तथ्य के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, ब्रह्मांड के बाहर क्या है यह अभी तक ज्ञात नहीं है, और मल्टीवर्स की अवधारणा एक सिद्धांत है और यह स्थापित नहीं है।
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