बाजार जहाँ विश्व के सभी देशों की वस्तुएं आमलोगों को खरीदने के लिए उपलब्ध हों। जैसे, भारत की आर्थिक राजधानी ‘मुम्बई।
उत्पादन के क्षेत्रों में मशीनों और वाष्प की शक्ति के उपयोग से जो व्यापक परिवर्तन हुए और इन परिवर्तनों के कारण लोगों की जीवन पद्धति और उनके विचारों में जो मौलिक परिवर्तन हुए उसे ही औद्योगिक क्रान्ति कहते हैं।
अर्थतंत्र में आनेवाली वैसी स्थिति जब उसके तीनों आधार कृषि, उद्योग और व्यापार का विकास अवरुद्ध हो जाए, आर्थिक संकट कहलाता है।
जीवन के सभी क्षेत्रों में एक अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप जिसने दुनिया के सभी भागों को आपस में जोड़ दिया है-सम्पूर्ण विश्व एक बड़े गाँव के रूप में परिवर्तित हो गया।
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद औद्योगिक विश्व में आर्थिक स्थिरता एवं पूर्ण रोजगार बनाये रखना एवं विश्वशांति स्थापित करना।
कई देशों में एक ही साथ व्यापार और व्यवसाय करने वाली कंपनियों को बहुराष्ट्रीय कंपनी कहा जाता है।