1920 के प्रारंभ में भारतीय मुसलमानों ने तुर्की के प्रति ब्रिटेन के अपनी नीति बदलने के लिए जोरदार आन्दोलन प्रारंभ किया जिसे खिलाफत आन्दोलन कहा गया।
अंग्रेजों द्वारा 1919 में पारित किया गया एक ऐसा कानून जिसमें किसी भी भारतीय अदालत में मुकदमा चलाए जेल में बन्द किया जा सकता था।
समुद्र के पानी से नमक बनाकर अंग्रेजी कानून का उल्लंघन करना।
सविनय अवज्ञा आन्दोलन की व्यापकता ने अंग्रेजी सरकार को समझौता करने के लिए बाध्य किया। 5 मार्च, 1931 को गाँधीजी एवं लार्ड इरविन के बीच जो समझौता हुआ उसे गाँधी इरविन पैक्ट कहा जाता है।
बिहार के चम्पारण में नील की खेती करनेवाले किसानों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ गाँधी जी ने सत्य और अहिंसापूर्ण तरीके से जो आंदोलन चलाया उसे चम्पारण सत्याग्रह कहा जाता है।
मार्च 1929 में सरकार ने 31 श्रमिक नेताओं को बंदी बना लिया तथा मेरठ लाकर उनपर मुकदमा चलाया गया, जिसे मेरठ षड्यंत्र कहा जाता है।
1914 से 1920 तक खोंड विद्रोह के बाद छोटानागपुर क्षेत्र के उराँवों के द्वारा चलाए जानेवाले अहिंसक आंदोलन का नेता जतरा भगत था, जिसने आन्दोलन में सामाजिक और शैक्षणिक सुधार पर विशेष बल दिया।
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस नामक एक संगठन जिसकी स्थापना 31 अक्टूबर 1920 को किया गया तथा सी० आर० दास ने सुझाव दिया कि कांग्रेस द्वारा किसानों एवं श्रमिकों को राष्ट्रीय आन्दोलन के सक्रिय रूप में शामिल किया जाए।