1.असहयोग आन्दोलन प्रथम जन आंदोलन था कैसे ?

महात्मा गाँधी के नेतृत्व में प्रारंभ किया गया असहयोग आन्दोलन प्रथम जनान्दोलन था, जिसके मुख्य कारण निम्न हैं

  • खिलाफत का मुद्दा
  • पंजाब में सरकार की बर्बर कारवाइयों के विरुद्ध न्याय प्राप्त करना
  • स्वराज्य की प्राप्ति।इस आन्दोलन में दो तरह के कार्यक्रम थे। प्रथमतः अंग्रेजी सरकार को कमजोर करने एवं नैतिक रूप से पराजित करने के लिए विध्वंसात्मक कार्य जैसे- उपाधियों एवं अवैतनिक पदों का त्याग करना, सरकारी तथा गैर-सरकारी समारोहों का बहिष्कार करना, विदेशी वस्तुओं का… बहिष्कार करना इत्यादि शामिल थे। . द्वितीयतः रचनात्मक कार्यों के अन्तर्गत, न्यायालय के स्थान पर पंचों का फैसला मानना, राष्ट्रीय विद्यालयों एवं कॉलेजों की स्थापना ताकि सरकारी कॉलेजों का बहिष्कार करके वाले विद्यार्थी पढ़ाई जारी रख सकें। स्वदेशी को अपनाना, चरखा खादी को लोकप्रिय बनाना, तिलक स्वराजकोष हेतु एक करोड़ रुपये इकट्ठा करना तथा 20 लाख चरखों का सम्पूर्ण भारत में वितरण करना शामिल था।

2.सविनय अवज्ञा आंदोलन के क्या परिणाम हुए ?

  • सामाजिक आधार का विस्तार।
  • समाज के विभिन्न वर्गों का राजनीतिकरण।
  • महिलाओं का सार्वजनिक जीवन में प्रवेश।
  • ब्रिटिश सरकार द्वारा 1935 ई. का भारत शासन अधिनियम पारित किया जाना।
  • ब्रिटिश सरकार का काँग्रेस से समानता के आधार पर बातचीत।

3.भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किन परिस्थितियों में हुई ?

भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की शुरूआत 19वीं सदी के अन्तिम चरण में हुई थी। इस समय इंडियन एसोसिएशन द्वारा रेंट बिल का विरोध किया जा रहा था, साथ ही लार्ड लिटन द्वारा बनाए गए प्रेस अधिनियम और शस्त्र अधिनियम का भारतीय द्वारा जबरदस्त विरोध किया जा रहा था। लार्ड रिपन के काल में पास हुए इलबर्ट बिल का यूरोपियनों द्वारा संगठित विरोध से प्राप्त विजय ने भारतीय राष्ट्रवादियों को संगठित होने का पर्याप्त कारण दे दिया।

4.बिहार के किसान आन्दोलन पर एक टिप्पणी लिखें।

महात्मा गाँधी के भारतीय राजनीति में पदार्पण के साथ ही किसान आन्दोलन को नई दिशा मिली। इन्हीं में एक प्रमुख है चम्पारण आन्दोलन।
बिहार के चम्पारण जिले में नील उत्पादक किसानों की स्थिति बहुत ही दयनीय थी। यहाँ नीलहे गोरों द्वारा तीनकठिया व्यवस्था प्रचलित थी जिसमें किसानों को अपनी उस भूमि के 3/20 हिस्से पर नील की खेती करनी होती थी जो सामान्यतः सबसे उपजाऊ भूमि होती थी। जबकि किसान नील की खेती नहीं करना चाहते थे क्योंकि इससे भूमि की उर्वरता कम हो जाती था।बगान मालिक किसानों को अपनी उपज एक निश्चित धनराशि पर केवल उन्हें ही बेचने के लिए बाध्य करते थे और यह राशि बहुत ही कम होती थी। इसके अलावा उन्होंने अपने लगान में । अत्यधिक वृद्धि कर दी। इन सब अत्याचारों से त्रस्त एक किसान राजकुमार शुक्ल ने 1916 में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में सबका ध्यान इस ओर आकृष्ट किया और महात्मा गाँधी को चम्पारण आने पर विवश किया। इसके बाद गाँधी जी ने किसानों को संगठित कर आंदोलन चलाया इसे चम्पारण सत्याग्रह भी कहा जाता है।

5.स्वराज्य पार्टी की स्थापना एवं उद्देश्य की विवेचना करें।

असहयोग आन्दोलन की एकाएक वापसी से उत्पन्न निराशा और क्षोभ का प्रदर्शन 1922 में हुए कांग्रेस के गया अधिवेशन में हुआ जिसके अध्यक्ष चितरंजन दास थे। चितरंजन दास एवं मोतीलाल नेहरू आदि नेताओं का विचार था कि रचनात्मक कार्यक्रम के साथ ही कांग्रेसी देश के विभिन्न निर्वाचनों में भाग लेकर व्यावसायिक सभाओं, सार्वजनिक संस्थाओं में प्रवेश कर सरकार के कामकाज में अवरोध पैदा करें। इसी प्रश्न पर एक प्रस्ताव लाया गया, परन्तु पारित नहीं हो पाया। तब चितरंजनदास एवं मोतीलाल नेहरू ने अपने काँग्रेस पद त्याग दिए और स्वराज पार्टी की स्थापना कर डाली और इसका प्रथम अधिवेशन 1923 में इलाहाबाद में हुआ।
इनका मुख्य उद्देश्य था भारत में अंग्रेजों द्वारा चलाई गयी सरकारी परम्पराओं का अंत करना।
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