यह मिशन, भारत का पहला सौर प्रयास है, जिसका मुख्य उद्देश्य सूर्य का अध्ययन करना है। इस मिशन की उड़ान 2 सितंबर को सुबह 11:50 बजे श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष बंदरगाह से होगी।
जो लोग आदित्य-एल1 मिशन के प्रक्षेपण को देखने में रुचि रखते हैं, वे इसरो द्वारा साझा किए गए आधिकारिक लिंक पर अपना पंजीकरण करा सकते हैं। आगंतुकों के लिए पंजीकरण 29 अगस्त से शुरू हो चुका है। श्रीहरिकोटा में कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पंजीकरण कराने के चरण यहां दिए गए हैं।
आदित्य एल1 की अनुमानित अवकाश यात्रा इसके सूर्य के निकटतम पॉइंट, यानी सूर्य-क्षेत्र के लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर (लगभग 9,30,000 मील) पर होगी।
डॉ. के. शंकरसुब्रमणियम, इसरो को आदित्य-एल. 1 मिशन के प्रधान वैज्ञानिक के रूप में पदनामित किया गया।
सूर्य के पास जाने में कितना समय लगेगा, यह बहुत सारे कारकों पर निर्भर करेगा, जैसे कि यात्रा की गति, यात्रा का पथ, और प्राप्त करने की विशेषिताएँ। सूर्य के पास जाने का कोई निश्चित समयग्रंथि नहीं है, क्योंकि ऐसी यात्राएँ अब तक किसी मानव या अंतरिक्ष यान के द्वारा पूरी नहीं की गई हैं।
अब तक केवल अंतरिक्ष यान जैसे कि पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) ने सूर्य के करीब जाने का प्रयास किया है, जो भी कई वर्षों का समय लेता है। पार्कर सोलर प्रोब की यात्रा की गति करीब 430,000 मील/घंटा (700,000 किलोमीटर/घंटा) है। इसके बावजूद भी यह वर्षों लग रहा है कि यह सूर्य के करीब पहुंचे।
सूर्य के पास जाने की यात्रा की अधिक जानकारी और विस्तारित योजना आगामी अंतरिक्ष मिशनों के साथ हो सकती है, इसलिए यदि आपको इसके बारे में अधिक जानकारी चाहिए, तो आप अंतरिक्ष एजेंसियों जैसे कि NASA और ISRO के आधिकारिक वेबसाइट्स और समाचार स्रोतों को देख सकते हैं।
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