हम जानते हैं कि दिक्सूचक की सूई एक छोटे छड़ चुंबक की तरह है, जिसमें उत्तर तथा दक्षिण ध्रुव होते हैं। इसलिए दिक्सूचक की सूई चुंबक के निकट लाने पर आकर्षण या प्रतिकर्षण के कारण विक्षेपित हो जाती है, क्योंकि समान ध्रुवों के बीच प्रतिकर्षण और विपरीत ध्रुवों के बीच आकर्षण बल लगता है।
चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के निम्नलिखित गुण हैं
यदि दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद करेंगी तब उस बिंदु पर दिक्सूची को रखने पर उसकी सूई दो दिशाओं की ओर संकेत करेगी। चूंकि किसी एक बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दो दिशाएँ असंभव होती हैं। अत: क्षेत्र रेखाएँ प्रतिच्छेद नहीं कर सकतीं।
दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम के अनुसार यदि आप चालक तार को पकड़े हुए हैं तब अँगूठा विद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करता है, जबकि अँगुलियाँ चालक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशी को निरूपित करता है।
स्पष्टत: वृत्ताकार पाश (लूप) के अंदर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा कागज़ के तल (मेज़ के तल) के लंबवत् अंदर की ओर होगी तथा पाश के बाहर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा पाश (मेज़) के तल के लबंवत् ऊपर की ओर होगी।
एक समान चुंबकीय क्षेत्र परस्पर समान्त और बराबर दूरी वाले चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किए जाते हैं जैसा कि निम्न चित्र में दर्शाया गया है।
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