ग्राही सवेदनशील अगो में होती है | ये पर्यावरण से सूचनाएँ ग्रहण करते है| इनके द्वारा व्यकित पर्यावरण से स्वयं संतुलित करता है यदि ये उचित तरीके से कार्य न करें तो मस्तिष्क सूचनाएँ ग्रहण नहीँ कर पायेगा या देर से करेगा अतः व्यकित असुरक्षित हो जाएगा |
तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन)तंत्रिका तंत्र की क्रियात्मक व संरचनात्मक इकाई है | यह तीन हिस्सों में बंटी होती है |
- द्रुमिका ,
- कोशिकाय ,
- एक्सॉन
हमारे शरीर में संवेदी तंत्रिका तथा तंत्रिका होती है | संवेदी तंत्रिका ग्राही अंगो से उद्दीपन प्राप्त कर सुचना को मेरुरज्जु तक ले जाती है तथा वाहक मस्तिष्क से सुचना अंगो तक पहुँचती है |
जड़ प्रकाश के विपरीत मुड़कर अनुक्रिया करती है तथा तने प्रकाश की दिशा में मुड़कर , इसे प्रकाशावर्तन कहते है | पादप में ऑकिस्न हॉर्मोन स्त्रावित होता है | यह सूर्य के प्रकाश में तने के अंधेरमय भाग में आ जाता है और वहाँ की कोशिकोओं को लंबा कर उन्हें प्रकाश की ओर झुका जाता है | इसे घनात्मक प्रकाशावर्तन कहते है | जड़े ऋणात्मक दर्शाती है |
प्रतिवर्ती क्रियाएँ सम्पन्न नहीं हो पाएंगी | इसके अलावा सभी सूचनाएँ ठीक प्रकार से संचारित नहीं होगी |
पादप कोशिकाएँ हार्मोन स्त्रावित करती है | ये हार्मोन वृद्धि , विकास तथा विभाजन को निंयत्रित करते है | ये हार्मोन ही रासायनिक समन्वय स्थापित करते है |
यदि जीव में नियंत्रण एंव समन्वय का तंत्र न हो तो कोशिकाएँ जीव की इच्छानुसार कार्य नहीं करेंगी | अतः इन पर नियंन्त्रण अति आवश्यक है | बहुकोशिकीय जीवों में सामान्य क्रियाओं के लिए यह प्रभावशाली है |
अनैच्छिक क्रियाएँ :
- इन क्रियाएँ को मस्तिष्क नियंत्रित करता है – ह्रदय का धडकन , साँस लेना |
- ये क्रियाएँ सम्पन्न होने में ज्यादा सनी लेती है |
प्रतिवर्ती क्रियाएँ :
- इन क्रियाओं को मेरुरज्जू द्वारा नियंत्रित किया जाता है | उदाहरण : गर्म पदार्थ को स्पर्श करने पर हाथ का हटना |
- ये क्रियाएँ सम्पन्न होने में बहुत कम समय लेती है |
तंत्रिका क्रिया विधि :
- तंत्रिका तंत्र संवेदी सूचनाएँ प्राप्त कर अपना संदेश भेजता है तथा नियंत्रण करता है |
- शरीर में तंत्रिका तंत्र अपना जाल बना लेता है तथा इसकी अपनी संरचनात्मक इकाई होती है|
प्रतिवर्ती क्रियाएँ :
- शरीर के अंगो में महत्वपूर्ण ग्रंथि ही हार्मोन स्त्रावित होते है ये हार्मोन कई क्रियाएँ उदाहरण – वृद्धि , विकास , जनन आदि को नियंत्रित करते है |
- हार्मोन स्वयं ही शरीर में स्त्रावित होते है |
छुई-मुई पादप में गति : इस पौधे में गति का आधार स्पर्श है |
- यहाँ गति पतियों के झुकने व खिलने पर आधारित है |
- यहाँ पतियोंके आकार में भी परिवर्तन होता है |
हमारी टाँग में होने वाली गति :
- इसमें गति का आधार मानव तंत्रिका तंत्र है |
- यहाँ गति पेशियों के सिकुड़ने व फैलने पर आधारित है |
- यहाँ पैर या उसकी पेशियों के आकार में कोई परिवर्तन नहीं है |