1. हमारे शरीर में ग्राही का क्या कार्य है? ऐसी स्थिति पर विचार कीजिए जहाँ ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं कर रहे हों। क्या समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं?

ग्राही सवेदनशील अगो में होती है | ये पर्यावरण से सूचनाएँ ग्रहण करते है| इनके द्वारा व्यकित पर्यावरण से स्वयं संतुलित करता है यदि ये उचित तरीके से कार्य न करें  तो मस्तिष्क सूचनाएँ ग्रहण नहीँ कर पायेगा या देर से करेगा अतः व्यकित असुरक्षित हो जाएगा |

2. एक तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) की संरचना बनाइए तथा इसके कार्यों का वर्णन कीजिए।

तंत्रिका कोशिका  (न्यूरॉन)तंत्रिका  तंत्र की क्रियात्मक व संरचनात्मक इकाई है | यह तीन हिस्सों में बंटी होती है |

  1. द्रुमिका ,
  2. कोशिकाय ,
  3. एक्सॉन

हमारे शरीर में संवेदी तंत्रिका तथा तंत्रिका होती है | संवेदी तंत्रिका ग्राही अंगो से उद्दीपन प्राप्त कर सुचना को मेरुरज्जु तक ले जाती है तथा वाहक मस्तिष्क से सुचना अंगो तक पहुँचती है |

3.पादप में प्रकाशानुवर्तन किस प्रकार होता है?

जड़ प्रकाश के विपरीत मुड़कर अनुक्रिया करती है तथा तने प्रकाश की दिशा में मुड़कर , इसे प्रकाशावर्तन कहते है | पादप में ऑकिस्न  हॉर्मोन स्त्रावित होता है | यह सूर्य के प्रकाश में तने के अंधेरमय भाग में आ जाता है और वहाँ की कोशिकोओं को लंबा कर उन्हें प्रकाश की ओर  झुका जाता है | इसे घनात्मक प्रकाशावर्तन कहते है | जड़े ऋणात्मक दर्शाती है |

4.मेरुरज्जु आघात में किन संकेतों के आने में व्यवधान होगा?

प्रतिवर्ती क्रियाएँ सम्पन्न नहीं हो पाएंगी | इसके अलावा सभी सूचनाएँ ठीक प्रकार से संचारित नहीं होगी |

5. पादप में रासायनिक समन्वय किस प्रकार होता है?

पादप कोशिकाएँ हार्मोन स्त्रावित करती है | ये हार्मोन वृद्धि , विकास तथा विभाजन को निंयत्रित करते है | ये  हार्मोन ही रासायनिक समन्वय स्थापित करते है |

6.एक जीव में नियंत्रण एवं समन्वय के तंत्र की क्या आवश्यकता है?

यदि जीव में नियंत्रण एंव समन्वय का तंत्र न हो तो कोशिकाएँ जीव की इच्छानुसार कार्य नहीं करेंगी | अतः इन पर  नियंन्त्रण अति आवश्यक है | बहुकोशिकीय जीवों में सामान्य  क्रियाओं के लिए यह प्रभावशाली है |

7. अनैच्छिक क्रियाएँ तथा प्रतिवर्ती क्रियाएँ एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं?

अनैच्छिक क्रियाएँ : 

  1. इन  क्रियाएँ  को मस्तिष्क नियंत्रित करता है – ह्रदय का धडकन , साँस लेना |
  2. ये  क्रियाएँ सम्पन्न होने में ज्यादा सनी लेती है |

प्रतिवर्ती क्रियाएँ : 

  1. इन क्रियाओं को मेरुरज्जू द्वारा नियंत्रित किया जाता है | उदाहरण : गर्म पदार्थ को स्पर्श करने पर हाथ का हटना |
  2. ये क्रियाएँ सम्पन्न होने में बहुत कम समय लेती है |

8.जंतुओं में नियंत्रण एवं समन्वय के लिए तंत्रिका तथा हॉर्मोन क्रियाविधि की तुलना तथा व्यतिरेक ( CONTRAST ) कीजिए।

तंत्रिका क्रिया विधि :

  1. तंत्रिका तंत्र संवेदी सूचनाएँ प्राप्त कर अपना संदेश भेजता है तथा  नियंत्रण  करता है |
  2. शरीर में तंत्रिका तंत्र अपना जाल बना लेता है तथा इसकी अपनी संरचनात्मक इकाई होती है|

प्रतिवर्ती  क्रियाएँ : 

  1. शरीर के अंगो में महत्वपूर्ण ग्रंथि ही हार्मोन स्त्रावित होते है ये  हार्मोन कई क्रियाएँ  उदाहरण –  वृद्धि , विकास , जनन आदि को नियंत्रित करते है |
  2. हार्मोन स्वयं ही शरीर में स्त्रावित होते है |

9. छुई-मुई पादप में गति तथा हमारी टाँग में होने वाली गति के तरीके में क्या अंतर है?

छुई-मुई पादप  में गति : इस पौधे में गति का आधार स्पर्श है |

  1. यहाँ गति पतियों के  झुकने व खिलने पर आधारित है |
  2. यहाँ  पतियोंके आकार में भी परिवर्तन होता है |

हमारी टाँग में होने वाली गति  : 

  1. इसमें गति का आधार मानव तंत्रिका तंत्र है |
  2. यहाँ गति पेशियों के सिकुड़ने व फैलने पर आधारित है |
  3. यहाँ  पैर या उसकी पेशियों के आकार में कोई परिवर्तन नहीं है |
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