(a) मर्करी |
(b) सोडियम , लिथियम और पौटैशियम |
(c) सिल्वर तथा कॉपर |
(d) लेड और मर्करी |
(a) भाप के साथ आयरन।
(b) जल साथ कैल्सियम तथा पोटैशियम।
(a). 3Fe(s)+ 4H2O(g)→ Fe3O4+4H2(g)
(b). Ca(s)+2H2O(I)→ Ca(OH)2 (aq)+H2(g)
(a) सबसे अधिक अभिक्रियाशील धातु कौन सी है?
(b) धातु B को कॉपर (ii) सल्फेट के विलयन में डाला जाए तो क्या होगा?
(c) धातु A, B, C एवं D को अभिक्रियाशीलता के घटते हुए क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
हाइड्रोजन गैस विसर्जित होती है |
Fe (s) + H2SO4 → FeSO4 (aq) + H2 (g)
जिंक को आयरन सल्फेट के विलयन से आयरन को विस्थापित कर देते है |
Zn + FeSO4 → ZnSO4 + Fe
(i) खनिज
(ii) अयस्क
(iii) गैंग
(i) खनिज वे पदार्थ होते है जिनमे धातुएँ अपने यौगिक के रूप में पाई जाती है |
(ii) ऐसे खनिज जिनमे धातुओ का निष्कर्षण अत्याधिक सरल व उपयुक्त होता है , अयस्क कहलाते है |
(iii) खनिज प्रकृति में शुद्ध रूप से प्राप्त नहीं होते है उनमे उपस्थित अशुद्धियो को गैंग कहते है |
(b) परिक्षण (a)
(ii) ज्यादा उपयुक्त तरीका है क्योंकि ग्रेफाइट एक धातु है , परन्तु विद्युत् का सुचालक है इसलिए इसके साथ भी बल्ब जलने लगेगा |
ऐसे धातु ऑक्साइड जो अम्ल तथा क्षारक दोनों से आभिक्रिया करके लवण तथा जल प्रदान करते है , उभयधर्मी ऑक्साइड कहलाते है|
उदाहरण : ऐलुमिनियम ओक्साइड (Al2O3) और जिंक ऑक्साइड (ZnO)
धातु M के विद्युत अपघटनी परिष्करण मे के लिए –
अशुद्ध धातु M का → ऐनोड
शुद्ध धातु M कि पतली पट्टी → कैथोड
विद्युत अपघट्य → M धातु का अम्लीक्रित लवण का विलयन
a) सल्फर जलने पर सल्फर डाइऑक्साइड उत्पन्न करता है।
S(s) + O2 I SO2 (q)
सल्फर डाइऑक्साइड
(i) सूखे लिटमस पत्र पर गैस की कोई भी क्रिया नहीं होगी।
(ii) गैस आर्द्र लिटमस पत्र में मौजूद जल के साथ अभिक्रिया कर सल्फ्यूरिक अम्ल उत्पन्न करेगी जो नीले लिटमस पत्र को लाल कर देगा।
(b) SO2 (g) + H2O I H2 SO3 (aq)
(सल्फ्यूरस)
लोहे को जंग से बचाने के लिए दो तरीके निम्न है:
(i) यशदलेपन द्वारा – इस विधि में लौहे एवं इस्पात पर जिंक की पतली परत चढ़ाई जाती है |
(ii) पेंटिंग द्वारा – इस विधि में लौहे की वस्तु पर पेंट कर देते है, ताकि इसकी सतह वायु और आर्द्रता के सीधे सम्पर्क में ना रहे |
(a) प्लैटिनम, सोना एवं चांँदी चमकदार धातुए है एवं संक्षारित भी नहीं होती है अतः इनका उपयोग आभूषण बनाने के लिए किया जाता है।
(b) सोडियम, पोटैशियम एवं लीथियम वायु में खुला छोड़ने पर अपनी अत्याधिक क्रियाशीलता के कारण आसानी से आग पकड़ लेती है | अतः इसको तेल के अंदर संग्रहीत किया जाता है।
(c) ऐलुमिनियम के बर्तन आसानी से संक्षारित नहीं होते अतः यह ऊष्मा के सुचालक है |
(d) धातुओ को उनके ऑक्साइड से पृथक करना ज्यादा आसान प्रक्रिया है अतः निष्कर्षण प्रक्रम में कार्बोनेट एवं सल्फाइड अयस्क को ऑक्साइड में परिवर्तित किया जाता है।
धातु के रासायनिक गुणधर्म :
(i) धातुए क्षारकीय ऑक्साइड बनाती है |
(ii) धातु अपचायक होती है |
(iii) धातुए जल से हाइड्रोजन को विस्थापित कर देती है |
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