आतंकवाद लोकतंत्र की चुनौती है क्योंकि यह एक तरह से सीधे रूप से लोकतंत्रिक मूल्यों और सिद्धांतों के खिलाफ होता है और सामाजिक सुरक्षा, न्याय, और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को खतरे में डालता है। यह चुनौती कई प्रकार से प्रकट हो सकती है:
न्याय की उल्लंघन: आतंकवादी समूहें अक्सर न्याय के प्रणाली को उल्लंघन करती हैं। वे अपने उद्देश्यों को हासिल करने के लिए अनैतिक और अवैध तरीकों का उपयोग करती हैं, जिससे सामाजिक न्याय की बुराई होती है।
सामाजिक सुरक्षा के खतरे: आतंकवाद से जुड़े संगठन आम लोगों को डर में डालने का प्रयास करते हैं, जिससे सामाजिक सुरक्षा में कमी हो सकती है।
व्यक्तिगत स्वतंत्रता की स्थिति: आतंकवाद से जुड़े उत्पादक और समर्थन करने वाले व्यक्तियों को सरकारों द्वारा बाधित किया जा सकता है, जिससे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार प्रभावित हो सकता है।
जनता के भय का उत्पन्न होना: आतंकवाद से जुड़ी घटनाएं जनता में डर और असुरक्षा की भावना को बढ़ा सकती है, जिससे लोग अपनी स्वतंत्रता को समझार्थ और सुरक्षित महसूस नहीं कर सकते हैं।
लोकतंत्र में आतंकवाद को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा के प्रति लोगों की जागरूकता, न्यायप्रणाली की मजबूती, और सुरक्षित सोच की बढ़ती आवश्यकता होती है।
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